वेट लॉस की दवाई| Weight loss drugs side effects| मोटापा घटाने की दवा | जल्दी वेट लॉस के चक्कर में आंखें हो जाएंगी खराब, वैज्ञानिकों ने दी Weight Loss दवा को लेकर चेतावनी

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वेट लॉस की दवाई| Weight loss drugs side effects| मोटापा घटाने की दवा | जल्दी वेट लॉस के चक्कर में आंखें हो जाएंगी खराब, वैज्ञानिकों ने दी Weight Loss दवा को लेकर चेतावनी



हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं, जहां लोग मॉर्डन दिखने के लिए अनहेल्दी लाइफस्टाइल को फैशन ट्रेंड की तरह फॉलो कर रहे हैं. जिसका परिणाम है कि लगभग हर घर में आज डायबिटीज या मोटापे का कम से कम एक मरीज जरूर है. दोनों की ही कंडीशन को कंट्रोल करना आसान नहीं है, ऐसे में दवाओं का खूब इस्तेमाल बढ़ रहा है. यदि आप भी इसी को दवा ले रहे हैं, तो सावधान हो जाएं. क्योंकि डायबिटीज और मोटापा कंट्रोल करने वाली वाली दवाएं, जिन्हें ‘ब्लॉकबस्टर वेट लॉस ड्रग्स’ कहा जा रहा है, आंखों के लिए खतरा बन सकती हैं. 
हाल ही में जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित दो अध्ययनों में पाया गया कि सेमाग्लूटाइड और टिर्जेपाटाइड आंखों की गंभीर बीमारियों के खतरे को बढ़ा सकती है. हालांकि ये दवाएं ब्लड शुगर और वजन को कंट्रोल करने में बेहद असरदार हैं, लेकिन रिसर्च के अनुसार ये डायबिटिक रेटिनोपैथी और नॉन आर्टेरिटिक एंटीरियर इस्केमिक ऑप्टिक न्यूरोपैथी (NAION) जैसी समस्याओं का खतरा थोड़ा बढ़ा सकती हैं. इन कंडीशनों में आंख की रेटिना और ऑप्टिक नर्व को डैमेज हो सकती है, जिससे धुंधला दिखना या अचानक से दिखना कम हो सकता है. 
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क्या कहती हैं स्टडी?
पहली स्टडी-  इसमें टाइप-2 डायबिटीज के उन मरीजों के डेटा का विश्लेषण किया गया जो GLP-1 दवाएं ले रहे थे (जैसे सेमाग्लूटाइड, डुलाग्लूटाइड, लिराग्लूटाइड) और उनकी तुलना उन मरीजों से की गई जो दूसरी डायबिटीज दवाएं ले रहे थे. दो साल के फॉलो-अप में GLP-1 दवाएं लेने वालों में डायबिटिक रेटिनोपैथी और NAION का खतरा अधिक पाया गया. हालांकि, एक सकारात्मक बात यह रही कि इन दवाओं से कुल अंधेपन के मामलों में कमी आई और डायबिटिक रेटिनोपैथी के गंभीर चरणों में पहुंचने की संभावना घट गई.  इसके साथ ही मरीजों को सर्जरी, लेजर या दूसरी जटिल प्रक्रियाओं की भी कम जरूरत पड़ी.
दूसरी स्टडी- में सबसे ताकतवर GLP-1 दवाओं (सेमाग्लूटाइड और टिर्ज़ेपाटाइड) लेने वालों की तुलना उन मरीजों से की गई जो अन्य डायबिटीज दवाएं ले रहे थे, जिनमें इंसुलिन और मेटफॉर्मिन भी शामिल थीं. नतीजों में पाया गया कि इन नई दवाओं के साथ NAION और अन्य ऑप्टिक नर्व समस्याओं के मामले थोड़े ज्यादा थे.
क्यों पड़ी रिसर्च की जरूरत?
करीब 10 साल पहले सेमाग्लूटाइड की शुरुआती ट्रायल में डायबिटिक रेटिनोपैथी का खतरा देखने के बाद वैज्ञानिकों ने इस विषय पर ज्यादा ध्यान देना शुरू किया. हाल ही में एक सिंगल सेंटर स्टडी में सेमाग्लूटाइड लेने वालों में NAION के मामले बढ़ने की रिपोर्ट आई, जिसके बाद बड़े स्तर पर रिसर्च की गई. यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी के अनुसार, NAION का जोखिम रेयर है. यह समस्या लगभग 10,000 में 1 मरीज को होती है. 
क्या दवाएं लेना बंद कर दें?
विशेषज्ञों का कहना है कि इन दवाओं के फायदे, खासकर डायबिटीज और मोटापे मैनेजमेंट में अभी भी काफी बड़े हैं. यह दिल, किडनी और लिवर की बीमारियों में भी मददगार साबित हो रही हैं. इसलिए मरीजों को डॉक्टर की सलाह के बिना दवा बंद नहीं करनी चाहिए.
क्या सावधानियां जरूरी हैं?
जिन मरीजों को पहले से डायबिटिक रेटिनोपैथी है, उन्हें दवा शुरू करने या डोज बढ़ाने से पहले आंखों की जांच करानी चाहिए. इसके साथ ही ब्लड शुगर में अचानक बदलाव से बचने के लिए दवा की डोज धीरे-धीरे बढ़ाई जानी चाहिए. इसके अलावा डायबिटीज विशेषज्ञ और आंखों के डॉक्टर मिलकर मरीज की मॉनिटरिंग करे तो बेहतर है. और भविष्य के सभी GLP-1 दवा ट्रायल में आंखों की सेहत से जुड़े पैरामीटर शामिल किए जाएं.
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Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
 



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