रिपोर्ट-अभिषेक जायसवाल,वाराणसीवाराणसी: महाराष्ट्र,गुजरात सहित दक्षिण भारत के क्षेत्रों में वट पूर्णिमा व्रत (Vat Purnima Vrat) का खासा महत्व है.ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ये व्रत रखा जाता है.वट सावित्री पूजा (Vat Savitri puja) की तरह ही इस व्रत को भी सुहागिन महिलाएं पति की लम्बी आयु की कामना से रखती हैं.इस व्रत में महिलाएं भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के साथ ही वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं.इस साल 14 जून को महिलाएं इस व्रत को रखेंगी.मान्यताओं के मुताबिक,इस दिन व्रत रखने के साथ ही बरगद के पेड़ की पूजा करने से महिलाओं को अखण्ड सौभाग्य का वर प्राप्त होता है.इसके साथ ही सुहागिन महिलाओं के पति की आयु दीर्घायु होती है और सुख, शांति, ऐश्वर्य की प्राप्ति भी होती है.काशी (Kashi) के जाने माने विद्वान स्वामी कन्हैया महाराज ने बताया कि वट सावित्री पूजा की तरह ही इस व्रत को किया जाता है.इस व्रत में सुहागिन महिलाएं को सुबह स्नान के बाद सुहाग के सामान के साथ वट वृक्ष की पूजा करनी चहिए.
जानिए पूजा की विधिपूजा के दौरान वट वृक्ष पर सुहागिन महिलाओं को रोली,कुमकुम,हल्दी, लगाने के साथ ही कच्चा सूत लपेटकर वट वृक्ष की 7,11 या फिर 21 बार परिक्रमा करनी चाहिए.इसके साथ ही दीपक भी जलाना चाहिए.पूजा के बाद महिलाओं को सावित्री और सत्यवान की कथा सुननी चहिए.ऐसा करने से व्रती महिलाओं को अखण्ड सौभाग्य का वर प्राप्त होता है.
वट वृक्ष का महत्वबताते चलें कि वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ में ब्रह्मा,विष्णु,महेश तीनों देवताओं का वास होता है.धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक वट वृक्ष के मूल में ब्रह्मा,मध्य में भगवान विष्णु और अग्र भाग में शंकर का वास होता है.ऐसे में पूर्णिमा तिथि पर वट वृक्ष के नीचे व्रत और पूजन से तीनों देवों का आर्शीवाद भी सुहागिनों को मिलता है.यही वजह है कि महिलाएं इस व्रत को रखती है और पूजा करतीं हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |FIRST PUBLISHED : June 13, 2022, 10:35 IST
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