वाराणसी में नाग नथैया लीला का आयोजन इस बार भी होने जा रहा है, लेकिन गंगा का बढ़ा जलस्तर आयोजकों की चिंता का कारण बना हुआ है। यह लीला हर साल दिवाली के चौथे दिन तुलसी घाट पर होती है, लेकिन इस बार कार्तिक शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को होगी।
इस लीला को देखने के लिए लाखों लोगों की भीड़ जुटती है। नाग नथैया की कृष्ण लीला को लेकर अभी से तैयारियां शुरू हो गई हैं। हालांकि, इस बार गंगा का जलस्तर अब भी काफी अधिक है जिसके कारण आयोजकों के साथ श्रद्धालुओं को भी काफी मुश्किलें झेलनी पड़ सकती हैं।
आपको बता दें कि इस बार तिथियों में हेर फेर के कारण दिवाली के चौथे दिन नहीं, बल्कि 5वें दिन उस लीला का मंचन होगा। 25 अक्टूबर को शाम में नाग नथैया की लीला होगी। इस दिन काशी नरेश अंनत नारायण सिंह भी बजड़े पर सवार होकर इस लीला को निहारेंगे। इस दिन काशी में उत्तर वाहिनी गंगा भी कुछ समय के लिए यनुमा में बदल जाती है और भगवान श्रीकृष्ण कालिया नाग का मर्दन कर उसपर बंशी बजाते भक्तों को दर्शन देते हैं।
घाटों की कई सीढ़ियों पर जमा है पानी, जिससे भक्तों की संख्या पहले से कम दिखाई दे सकती है। लेकिन आयोजकों ने सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर तैयारियां तेज कर दी हैं, ताकि भक्त बिना किसी परेशानी के दिव्य दृश्य का दर्शन कर सकें।
कोरोना काल में जारी रही परंपरा काशी के नाग नथैया की लीला लक्खा मेले में शुमार है। इस लीला की शुरुआत गोस्वामी तुलसी दास ने की थी। बस तब से ये लीला अनवरत चली आ रही है। इस लीला का स्वरूप आज भी वैसा ही है जैसा सालों पहले था। सबसे खास बात ये है कि कोरोना काल के समय भी नाग नथैया की कृष्ण लीला परम्पराओ के हिसाब से की गई थी।
आयोजकों के अनुसार, कालिया नाग को तैयार किया जा रहा है और घाटों पर सफाई का काम भी जारी है। इस लीला को देखने के लिए लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है, लेकिन इस बार गंगा का जलस्तर के कारण आयोजकों के साथ श्रद्धालुओं को भी काफी मुश्किलें झेलनी पड़ सकती हैं।