Varanasi में कैसे हर साल बढ़ता है काशी के इस शिवलिंग का आकार? चमत्कार या कुछ और जानें पूरी कहानी

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वाराणसी (काशी): भोलेनाथ की नगरी काशी वैसे तो अपने चमत्कारों और आस्था के लिए मशहूर है, लेकिन यहां कुछ चीज़ें ऐसी भी हैं जिन पर यकीन करना मुश्किल हो जाता है. वह भी तब जब बात चमत्कार की हो और प्रमाण भी हों, तो फिर उसे नकारा नहीं जा सकता. ऐसा ही एक चमत्कारी मंदिर काशी के केदारखंड क्षेत्र में मौजूद है, जहां भगवान शिव का एक ऐसा शिवलिंग है, जिसका आकार हर साल एक तिल के बराबर बढ़ता है. इस चमत्कारी शिवलिंग को “तिलभांडेश्वर महादेव” (Tilbhandeshwar Mahadev) के नाम से जाना जाता है.कहां स्थित है तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर?
यह मंदिर काशी विश्वनाथ धाम से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर, पांडे हवेली की गली में स्थित है. मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को करीब 30 से अधिक खड़ी सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. शिवलिंग जमीन से लगभग 100 फीट ऊंचाई पर स्थित है, जहां पहुंचने के बाद भक्तों को विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति का अनुभव होता है.

शिवलिंग का आकार और खासियतइस मंदिर में जो शिवलिंग स्थापित है, उसका आकार आम शिवलिंगों की तुलना में कहीं ज्यादा बड़ा है. मान्यता है कि इस शिवलिंग का आकार हर साल मकर संक्रांति के दिन एक तिल के बराबर बढ़ता है. मंदिर के पुजारियों के अनुसार, शिवलिंग का जो हिस्सा दिखाई देता है, उसके नीचे भी जमीन के अंदर एक विशाल स्वरूप मौजूद है. यह शिवलिंग स्वयंभू है, यानी इसकी उत्पत्ति स्वयं भगवान शिव ने की है.

ज्योतिष दोषों से राहत का स्थान
पंडित संजय उपाध्याय के अनुसार, तिलभांडेश्वर महादेव की पूजा करने से 27 नक्षत्रों और 9 ग्रहों की शांति होती है. जिन लोगों की कुंडली में ग्रहों की स्थिति ठीक नहीं होती, वे यहां दर्शन और जलाभिषेक के लिए आते हैं. मान्यता है कि इससे उनके ग्रह शांत होते हैं और जीवन में सुख-शांति लौटती है.

क्या है इस चमत्कारी शिवलिंग की कथा?इस शिवलिंग से जुड़ी एक प्राचीन कथा के अनुसार, इस स्थान पर कभी विभांडा ऋषि तपस्या किया करते थे. वे भगवान शिव को तिल और गंगाजल चढ़ाते थे. एक दिन तपस्या के दौरान उनके घड़े का सारा तिल धरती पर गिर गया. तभी भगवान शिव प्रकट हुए और यही स्थान तिलभांडेश्वर महादेव के रूप में जाना जाने लगा.

कहते हैं कि द्वापर युग में यह शिवलिंग हर दिन एक तिल के आकार में बढ़ता था, लेकिन कलियुग में यह सिर्फ मकर संक्रांति के दिन एक तिल के बराबर बढ़ता है. इस बढ़ने का आभास सिर्फ मंदिर के पुजारी कर सकते हैं.

भैरवी यातना से मिलती है मुक्तियह भी मान्यता है कि इस मंदिर में शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. जो भक्त यहां जलाभिषेक करते हैं, उन्हें भैरवी यातना से भी मुक्ति मिलती है. ऐसा इसलिए क्योंकि काशी के केदार खंड में मरने वाले को सीधा मोक्ष मिलता है.

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