Vaibhav Suryavanshi Age Controversy: बिहार के क्रिकेटर वैभव सूर्यवंशी ने आईपीएल 2025 में धमाकेदार प्रदर्शन किया. उन्होंने अपनी बेखौफ बल्लेबाजी से सबका दिल जीत लिया. राहुल द्रविड़ की कोचिंग और संजू सैमसन की कप्तानी वाली राजस्थान रॉयल्स में मिले मौकों को वैभव ने बखूबी भुनाया. मेगा ऑक्शन में टीम ने उन्हें 1.1 करोड़ रुपये में खरीदा था. इसके बाद उन्होंने 7 मैचों में 36 की औसत और 206.55 की स्ट्राइक रेट से 252 रन बनाए. उन्होंने एक शतक और एक अर्धशतक लगाया.
आईपीएल के दौरान मचा था बवाल
आईपीएल के दौरान वैभव अपनी बल्लेबाजी के साथ-साथ उम्र को लेकर भी चर्चा में रहे. कुछ लोगों ने उन्हें 13 साल तो कुछ ने 14 साल का बताया. यहां तक कि कुछ ने तो 15 साल का भी कह दिया. पूरे आईपीएल में इसे लेकर चर्चा होती रही. इस विवाद को देखने के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने बड़ा एक्शन लिया है. उसने ओवर-एज खिलाड़ियों को पकड़ने के लिए एक नई पहल के तहत जूनियर स्तर पर एक अतिरिक्त बोन टेस्ट आयोजित करने का फैसला किया है.
हमें किसी का डर नहीं: वैभव के पिता
वैभव के पिता संजीव सूर्यवंशी ने इन आरोपों का जवाब देते हुए पीटीआई से कहा, ”जब वैभव 8.5 साल का था तो उसने पहली बार बीसीसीआई बोन टेस्ट दिया था. वह पहले ही भारत अंडर-19 खेल चुका है. हमें किसी का डर नहीं है. वह फिर से आयु परीक्षण करवा सकता है.” आईपीएल के दौरान एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें वैभव को कथित तौर पर एक अलग जन्मतिथि बताते हुए सुना गया था. हालांकि, इस क्लिप की सच्चाई किसी को मालूम नहीं थी.
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बीसीसीआई का नया नियम क्या है?
मौजूदा तरीके के अनुसार, प्रत्येक खिलाड़ी TW3 विधि के माध्यम से आयु निर्धारण के लिए एक बोन टेस्ट से गुजरता है और अगले सीजन में उसी आयु वर्ग में उसकी पात्रता निर्धारित करने के लिए एक ‘1 फैक्टर’ जोड़ा जाता है. हालांकि, नए नियम के अनुसार, अंडर-16 स्तर के खिलाड़ियों को अगले सीजन में पात्रता तय करने के लिए एक और बोन टेस्ट से गुजरना होगा, यदि ‘1 फैक्टर’ उन्हें पिछले साल बाहर कर देता है.
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सामने आई बड़ी जानकारी
एक बीसीसीआई सूत्र ने पीटीआई को बताया, “यह सटीक आयु प्राप्त करने और यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है कि कोई भी खिलाड़ी वैज्ञानिक गणना के बजाय अंकगणितीय गणना के कारण न हारे. इसका मतलब यह है कि पुरुष क्रिकेटरों में अगले सीजन में एक खिलाड़ी की हड्डी की उम्र 16.4 या उससे कम होनी चाहिए और महिलाओं के मामले में भागीदारी के लिए 14.9 या उससे कम होनी चाहिए.”