वृंदावन की रहस्यमयी जगह, जहां रात को जाना है बेहद खतरनाक, पशु-पक्षी तक जाने से डरते हैं, आती है अजीब आवाज

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निर्मल कुमार राजपूत/ मथुरा : वृंदावन रहस्य से भरा हुआ है. यहां के वन और यहां के मंदिर अपने आप में रहस्य संजोए हुए हैं. वृंदावन का एक ऐसा स्थान है, जहां आज भी लोग शाम होते ही जाने से डरते हैं. इंसान तो क्या, पशु पक्षी भी इस वन से शाम होते ही बाहर निकल जाते हैं. वृंदावन की एक बुजुर्ग महिला ने निकुंज वन के उन रहस्य से पर्दा उठाया है. इस बुजुर्ग महिला का कहना है कि निकुंज वन में जो भी जाता है. वह मर जाता है, जो भी भगवान कृष्ण के उस महारास को देख लेता है, वह जिंदा नहीं बचता है. उन्होंने यह भी बताया कि हमारे सामने घटना हुई. एक व्यक्ति ने महारास को देख लिया था. सुबह जब उसे देखा गया, तो उसकी हालत गंभीर थी और उसने कुछ लिखने की कोशिश की, लेकिन लिखने से पहले भगवान  ने उसे मौत की नींद सुला दिया.

90 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने बताएं सेवाकुंज के रहस्य 

वृंदावन की एक 90 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने निकुंज वन के बारे में जो बताया, उसे सुनकर हमारे रोंगटे खड़े हो गए. उन्होंने जिस तरह से वहां की कहानी को बताया हम भी सुनकर दंग रह गए. 90 वर्षीय बुजुर्ग महिला का कहना है कि भगवान कृष्ण ने यहां महारास किया था. एक व्यक्ति के द्वारा चोरी छुपे उस महारास को देखने का प्रयास किया गया, लेकिन उस व्यक्ति की हालत चिंताजनक हो गई. उन्होंने कहा कि हम जब सुबह सेवाकुंज पहुंचे, तो वहां एक व्यक्ति अचेत अवस्था में था. वह लोगों को कुछ बताना चाह रहा था, लेकिन उसकी जिव्हा टूट गई और लोगों को कुछ बता भी नहीं पाया. उसने कुछ लिखने का प्रयास किया, तो भगवान की लीला देखिए उसका हाथ अकड़ गया और उसकी मौत हो गई. सेवाकुंज को निकुंज वन भी कहते हैं. सेवाकुंज वृन्दावन के प्राचीन दर्शनीय स्थलों में से एक है. राधा दामोदर जी मन्दिर के निकट ही कुछ पूर्व-दक्षिण कोण में यह स्थान स्थित है. यहां एक छोटे-से मन्दिर में राधिका के चित्रपट की पूजा होती है.

राधा तू बडिभागिनी कौन तपस्या कीन.

तीन लोक तारनतरन सो तेरे आधीन.

भक्त रसखान ब्रज में सर्वत्र कृष्ण का अन्वेषण कर हार गये, तो अन्त में यहीं पर रसिक कृष्ण का दर्शन हुआ. उन्होंने उसको अपने सरस पदों में इस प्रकार व्यक्त किया है.

देख्यो दुर्यों वह कुंज कुटीर में.

बैठ्यो पलोटत राधिका पायन.

वृन्दावन के प्राचीन दर्शनीय स्थल सेवाकुंज के भ्रमण से भक्तों की उक्त भावना एवं जिज्ञासा और भी प्रबल हो जाती है, जहां भगवान श्री कृष्ण अपनी शाश्वत शक्तिस्वरूपा एवं आह्लादिनी शक्ति राधा रानी के चरण कमल पलोटते हैं. रासलीला के श्रम से व्यथित राधाजी की भगवान् द्वारा यह सेवा किए जाने के कारण इस स्थान का नाम सेवाकुंज पडा. लता दु्रमों से आच्छादित सेवाकुंज के मध्य में एक भव्य मंदिर है, जिसमें श्रीकृष्ण राधाजी के चरण कमल पलोटते हुए अति सुंदर रूप में विराजमान हैं.

रात्रि में यहाँ कोई नर-नारी तो क्या पशु पक्षी भी नहीं ठहरता

सेवाकुंज के बीचोंबीच एक पक्का चबूतरा है, जनश्रुति है कि यहां आज भी रोजान रात को रासलीला होती है. यहां बंदरों की भरमार है, लेकिन कहा जाता है कि रात्रि में सेवाकुंज में मनुष्य तो क्या कोई पशु पक्षी भी नहीं ठहरता. बंदर भी अन्यत्र चले जाते हैं. इस प्राचीन स्थल की जानकारी देने के लिए यहां एक प्रस्तर पट्ट लगा रखा है, जिसमें लिखा हुआ है, प्राचीन वृन्दावन में लता कुंजों की विपुलता का परिचय कराने वाला यह मनोरम एवं रमणीक स्थल, जिसके महल में श्री राधा रानीजी का सुंदर मंदिर है और उसके निकट ही दर्शनीय ललिता कुण्ड है. यह वनखंड वृन्दावन नगर की आबादी के मध्य लाल पत्थर की चारदीवारी से घिरा हुआ है. किवदंती के अनुसार अब भी हर रोज रात को  श्रीकृष्ण एवं राधारानी की दिव्य रासलीला यहां होती है. रात्रि में यहाँ कोई नर-नारी तो क्या पशु पक्षी भी नहीं ठहरता है. गोस्वामी श्री हितहरिवंश जी ने सन् 1590 में अन्य अनेक लीला स्थलों के साथ इसे भी प्रकट किया था.

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