Uttar Pradesh

उत्तर प्रदेश के इस शहर में हुआ था जलियांवाला बाग जैसा हत्याकांड, जानिए सई नदी के तट पर हुए संघर्ष की कहानी



सौरभ वर्मा/रायबरेली. वैसे तो भारत देश वीरों की भूमि कहा ही जाता है . यहां पर आपको अनेकों अनेक वीरों की गाथाएं सुनने के साथ ही पढ़ने को भी मिलेंगी. जिनकी अपनी अलग-अलग गौरव गाथा है. आपने भी जंगे आजादी से जुड़े वीरों की वीर गाथाएं सुनी होंगी. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे वीरगाथा से रूबरू कराएंगे जिसे सुनकर आपके मन में आजादी से जुड़े आजादी के महनायकों के प्रति प्रेम और भी बढ़ जायेगा. हम बात कर रहे है रायबरेली जनपद के मुंशीगंज में बने शहीद स्मारक स्थल के बारे में जहां के बारे में, लोगों का मानना है कि यहां पर दूसरा जलियांवाला बाग कांड हुआ था.

इतिहासकार डॉ. राम बहादुर वर्मा बताते हैं कि 5 जनवरी 1921 को जनपद के किसानों ने जमींदारी प्रथाके खिलाफ बगावत करते हुए सई नदी के तट पर एक विशाल जन सभा का आयोजन किया था. जिसमें देश के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को भी आना था. जैसे ही इसकी भनक अंग्रेजों को लगी तो उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू को रायबरेली स्टेशन पहुंचने पर ही उनको नजरबंद कर दिया.

सई नदी के तट पर हुआ था गोलीकांडवहीं सई नदी के तट पर जमींदारी प्रथा के खिलाफ बगावत करने के लिए एकत्रित हुए हजारों की संख्या में निहत्थे किसानों को घेर कर उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दी. यहां से भागने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता था. जिससे किसान भाग भी न सके और सैकड़ों की संख्या में किसान मारे गए. इसी वजह से इसकी तुलना दूसरे जलियांवाला बाग हत्याकांड से की जाती है.

जमींदारी प्रथा उन्मूलन के लिए बना माहौलराम बहादुर वर्मा बताते है कि अंग्रेजों की गोलियों का शिकार हुए किसानों के खून से सई नदी का रंग लाल हो गया था. इस घटना से पूरे देश मे अंग्रेजो के खिलाफ एक नए आंदोलन को जन्म दिया. जिससे अंग्रेजो के खिलाफ किसानों की बगावत तेज हो गई. वही इसी घटना को लेकर कांग्रेस ने जमींदारी प्रथा उन्मूलन को अपने एजेंडे में भी शामिल किया था.

शहीद स्मारक स्थल के बगल में है भारत माता मंदिरन्यूज 18 से बात करते हुए इतिहासकार डॉ. राम बहादुर वर्मा बताते हैं कि मुंशीगंज गोलीकांड जिसे अब शहीद स्मारक स्थल के नाम से जाना जाता है. इसका इतिहास में एक अलग ही पहचान है. यहां पर जमींदारी प्रथा के खिलाफ बगावत करने के लिए इकट्ठे हुए निहत्थे किसानों पर अंग्रेजों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थी. जिसमें सैकड़ों की संख्या में किसानों की मौत हुई थी. साथ ही वह बताते हैं कि सई नदी किसानों के रक्त से लाल हो गई थी. जिससे लोग इसकी तुलना दूसरे जलियांवाला बाग हत्याकांड से करते हैं. उन्हीं शहीद किसानों की स्मृति में यहां पर शहीद स्मारक का निर्माण कराया गया.  साथ ही एक भारत माता मंदिर का भी निर्माण कराया गया है.
.Tags: Raebareli News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : May 21, 2023, 19:43 IST



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