Uttar Pradesh

उत्‍तर प्रदेश: हृदय नारायण दीक्षित ने लिया राजनीतिक संन्‍यास, स्‍पीकर के रूप में हुए थे लोकप्रिय



ममता त्रिपाठी 
नई दिल्‍ली. उत्‍तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के वरिष्‍ठ भाजपा (BJP ) नेता हृदय नारायण दीक्षित ने राजनीतिक संन्‍यास लिया है. वे विधानसभा के स्पीकर (Assembly speaker)  के रूप में लोकप्रिय रहे हैं. हालांकि अब सदन में उनकी आवाज नहीं गूंजेगी. सत्रहवीं विधानसभा के विभिन्‍न सत्रों के संचालन में उन्‍होंने अपनी मीठी बोली से सभी को प्रभावित किया था. कई बार विकट परिस्थितियों में भी वे माहौल को हल्का बना देते थे. वे 1985 से लगातार यूपी विधानसभा के सदस्य निर्वाचित होते रहे. साल 2010 में वो विधानपरिषद के सदस्य भी रहे. हृदय नारायण दीक्षित के लंबे राजनीतिक जीवन की शुरूआत 1964 से ही हो गई थी, जब वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े.
हृदय नारायण दीक्षित, भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं. उन्होंने आपातकाल में भी कई आंदोलनों में हिस्सा लिया था जिसके लिए वे 18 महीने तक मीसा के तहत अलग अलग जेल में भी रहे. जेवर से विधायक धीरेन्द्र सिंह कहते हैं कि हृदय नारायण दीक्षित एक बड़ा नाम है, स्पीकर के रूप में वे जितने सहज भाव से सत्ताधारी दल के विधायकों से बात करते थे, उसी तरह से विपक्ष के विधायकों से भी. हर कोई उनकी मीठी बोली का कायल था. वे हम सभी के लिए आदरणीय रहे हैं और मैंने बहुत कुछ उनसे सीखा है. इस बार उनकी कमी खलेगी.
हृदय नारायण जी को लेखन और साहित्य में भी काफी रूचि रही है. वो अभी तक 35 पुस्तकें सम सामायिक, राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर लिख चुके हैं. अपनी लेखनी के लिए कई राज्य सरकारें उन्हें सम्मानित भी कर चुकी हैं. वे 2017 में उन्नाव की भगवंतनगर विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. कांग्रेस की विधानमंडल दल की नेता रहीं आराधना मिश्रा इस बार फिर रामपुर खास से विधायक चुनी गई हैं. आराधना मिश्रा कहती हैं कि उनका स्पीकर की हैसियत से आचरण, एक अभिभावक की तरह रहा. हम नए लोगों के लिए बहुत कुछ सीखने को था. वे मेरे पिताजी के साथ भी सदन के सदस्य रहे हैं और मैंने राजनीति में शुचिता उनसे ही सीखी है.

इधर, हृदय नारायण दीक्षित कहते हैं कि मैंने राजनीति में विभिन्न आयाम देखे हैं… एक जनप्रतिनिधि को अपने क्षेत्र की जनता के लिए हर वक्त खड़े रहना चाहिए. ये जो प्रदेश में भाजपा की दोबारा जीत हुई है ये उसी का परिणाम है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 365 दिन काम में लगे रहते हैं. योगी आदित्यनाथ के कानून व्यवस्था में लोगों ने विश्वास जताया तभी वोट देकर दोबारा सत्ता में बिठाया है. नए विधायकों को मैं सदन में भी कहता था और फिर कह रहा हूं कि क्षेत्र में बर्थ डे पार्टी या शादी में एक बार को नहीं भी जाओ मगर अस्पताल तक जरूर जाओ. जनता का विश्वास जीतने में टाइम लगता है. आपको बता दें कि 18वीं विधानसभा के विधायकों को शपथ दिलाने के लिए रमापति शास्त्री को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है. शास्त्री 18वीं विधानसभा में सदन के सबसे वरिष्ठ विधायक होने के कारण उन्हें प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है.

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