उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सहित 9 शहरों में बिजली विभाग एक बार फिर से पुरानी व्यवस्था को लागू करने जा रहा है. आगामी 1 नवंबर से इन शहरों में वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग व्यवस्था लागू होने जा रही है. यह व्यवस्था वर्ष 1984 में लागू की गई थी, लेकिन वर्तमान में इसे फिर से लागू किया जा रहा है. इस व्यवस्था के अनुसार, बिजली विभाग से जुड़े हर काम के लिए अलग-अलग अधिकारी और कर्मचारी होंगे. जैसे कि बिल सुधारने, नया कनेक्शन लेने, लोड बढ़ाने या घटाने, मेंटीनेंस, सप्लाई संबंधी कार्यों के लिए अलग-अलग कर्मचारी होंगे. इसके अलावा जनता को अपनी हर समस्या के लिए 1912 पर कॉल करना होगा या फिर शहर में बने हेल्प डेस्क की मदद लेनी होगी.
इस नई व्यवस्था के शुरू होने के बाद आम यूजर्स को यह पता नहीं चल पाएगा कि उसका आवेदन किस अधिकारी के पास है? यानी कि यह पूरा व्यवस्था नेमलेस और फेसलेस होगी. कुल 9 शहरों में यह व्यवस्था लागू होने वाली है. बता दें कि मेरठ, अलीगढ़, बरेली और कानपुर में इसका ट्रायल पूरा हो चुका है. वहीं लखनऊ, मुरादाबाद, सहारनपुर, नोएडा और गाजियाबाद में 1 नवंबर से इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा. इस व्यवस्था के शुरू होने से अधिकारी-कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी पर पूरी तरह से फोकस रख पाएंगे. उस काम में वे अपनी विशेषज्ञता भी हासिल कर लेंगे. साथ ही इस व्यवस्था से भ्रष्टाचार पर रोक लगेगा. बताया जा रहा है कि पूरी वर्टिकल व्यवस्था हेल्पलाइन नंबर 1912 के सहारे लागू की जा रही है. जबकि 1912 की हालत ये है कि इस पर की गई शिकायत का बिना समाधान ढूंढे, अधिकारी इसे बंद कर देते हैं. ऐसे में अब सवाल उठता है कि अब तक 1912 को ओटीपी से क्यों नहीं जोड़ा गया है.

