UP News: यूपी में ‘पेयरिंग सिस्टम’ से बच्चों का फायदा या नुकसान? बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने दिया जवाब!

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लखनऊ: राज्य सरकार की प्राथमिक शिक्षा को लेकर नई रणनीति ‘पेयरिंग सिस्टम’ को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं. कहीं इसे विद्यालयों को बंद करने की शुरुआत बताया जा रहा है, तो कहीं शिक्षकों की तैनाती को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. इन सभी बातों पर विराम लगाते हुए उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने साफ किया है कि ‘पेयरिंग प्रक्रिया’ का उद्देश्य केवल शिक्षा की गुणवत्ता सुधारना है, न कि स्कूलों को बंद करना या किसी पद को समाप्त करना.

मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि यह बदलाव शिक्षकों और छात्रों दोनों के हित में है. इस व्यवस्था से न केवल पढ़ाई का स्तर सुधरेगा, बल्कि बच्चों का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा. आइए जानते हैं इस योजना से जुड़ी सभी अहम बातें.

विद्यालयों को नहीं किया जाएगा बंद
बेसिक शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि पेयरिंग योजना के अंतर्गत कोई भी स्कूल स्थायी रूप से बंद नहीं किया जाएगा. यह केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया है, जिससे शिक्षा के स्तर में सुधार लाया जा सके. सभी विद्यालय पहले की तरह ही चलते रहेंगे. उन्होंने कहा कुछ जिलों में पेयरिंग को लेकर आपत्तियां आई थीं. इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए समीक्षा की गई है. जहां आवश्यकता पाई गई, वहां स्कूलों को फिर से पुराने तरीके से संचालित करने के निर्देश दिए गए हैं.

यदि किसी विद्यालय में भविष्य में छात्र संख्या बढ़ती है, तो उस भवन में फिर से कक्षाएं शुरू कर दी जाएंगी. इसका मतलब यह है कि कोई भी विद्यालय स्थायी रूप से बंद नहीं रहेगा. वहीं, नदी, रेलवे लाइन या हाईवे जैसी भौगोलिक बाधा वाले विद्यालयों को इस पेयरिंग प्रक्रिया से बाहर रखा गया है. बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है.

शिक्षक-छात्र अनुपात बेहतर होगा
उन्होंने बताया कि इस योजना के जरिए प्रत्येक कक्षा में शिक्षक की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी. इससे शिक्षा का स्तर सुधरेगा और प्रभावी पढ़ाई संभव हो सकेगी. पेयरिंग के ज़रिए बच्चों को समूह में काम करने, प्रोजेक्ट आधारित लर्निंग, खेल और पियर लर्निंग जैसी गतिविधियों का लाभ मिलेगा. इससे उनमें आत्मविश्वास और रचनात्मकता बढ़ेगी. जिन विद्यालय भवनों का अभी संचालन नहीं होगा, उनमें बालवाटिकाएं और आंगनबाड़ी केंद्र शुरू किए जाएंगे. इससे पूर्व-प्राथमिक शिक्षा को मजबूती मिलेगी.

भवनों की सुरक्षा पर भी ध्यानऐसे स्कूल जिनमें 50 तक बच्चे पढ़ते हैं, उनमें कम से कम 3 शिक्षकों की तैनाती की जाएगी. जहां छात्र संख्या अधिक है, वहां मानकों के अनुसार शिक्षक नियुक्त किए जाएंगे. राज्य भर के सभी विद्यालय भवनों का सेफ्टी ऑडिट कराया जा रहा है. जर्जर इमारतों को चिह्नित कर गिराया जाएगा. सभी स्कूलों में बच्चों के अनुकूल फर्नीचर और जरूरी शिक्षण सामग्री दी जा रही है.

पिछली सरकारों पर साधा निशाना
बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों में शिक्षा व्यवस्था स्ट्रेचर पर चली गई थी. लेकिन मौजूदा सरकार ने सुधार करते हुए बुनियादी सुविधाएं दुरुस्त की हैं. वहीं आगे उन्होंने बताया कि सरकार ने अब तक 1.26 लाख से ज्यादा शिक्षकों की भर्ती की है. इसके साथ ही ऑपरेशन कायाकल्प के तहत 96% स्कूलों को बुनियादी सुविधाएं दी जा चुकी हैं.

अब प्रदेश के सभी जिलों में मुख्यमंत्री मॉडल कम्पोजिट स्कूल बनाए जा रहे हैं. इनमें प्री-प्राइमरी से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई एक ही परिसर में की जाएगी. बच्चों को यूनिफॉर्म, बैग, जूते-मोजे और स्टेशनरी खरीदने के लिए ₹1200 की राशि सीधे उनके खाते में भेजी गई है. अब तक ₹1200 करोड़ से अधिक की धनराशि वितरित की जा चुकी है.

तकनीकी रूप से सशक्त हो रहे शिक्षक और स्कूल
जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि राज्य भर में शिक्षकों को 2.6 लाख टैबलेट, 31,000 से ज्यादा स्मार्ट क्लास और 14,000 से ज्यादा ICT लैब उपलब्ध कराई गई हैं. साथ ही 746 कन्या विद्यालयों को टेक्नोलॉजिकल रूप से उन्नत किया गया है. वर्ष 2024-25 में राज्य में 48,000 से अधिक विद्यालयों को ‘निपुण स्कूल’ घोषित किया गया है. सरकार शिक्षा पर कुल बजट का 13% खर्च कर रही है.
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असर रिपोर्ट और परख सर्वे में मिला बेहतर परिणाम‘असर रिपोर्ट’ और ‘परख सर्वेक्षण’ में उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से बेहतर रहा है. बच्चों की उपस्थिति, सीखने की रुचि और परिणामों में सुधार साफ देखा गया है. कहा कि, पेयरिंग सिस्टम को लेकर जो भ्रम फैला था, अब वह स्पष्ट हो गया है. यह पहल छात्रों और शिक्षकों दोनों के हित में है और प्राथमिक शिक्षा को एक नई दिशा देने जा रही है.

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