उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नोएडा और गाजियाबाद में 17 वायु प्रदूषण हॉटस्पॉट चिन्हित किए हैं। इन इलाकों में लगातार वाहनों का जाम, सड़क की धूल, निर्माण कार्य और खुले में रखी बिल्डिंग सामग्री के कारण हवा की गुणवत्ता बेहद खराब बनी हुई है। इनमें नोएडा के 10 और गाजियाबाद के 7 स्थान शामिल हैं, जहां इस सर्दी में प्रदूषण कम करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा।
नोएडा में जिन 10 स्थानों को ‘रेड फ्लैग’ किया गया है, उनमें शामिल हैं – सेक्टर 116/115/7X, सेक्टर 150-158, यमुना पुश्ता और पुश्ता रोड, नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे, दादरी रोड, सेक्टर 62-104 स्टेच, सेक्टर 62, सेक्टर 50/51, एमिटी यूनिवर्सिटी कैंपस और सेक्टर 140-143। यूपीपीसीबी के अधिकारियों के मुताबिक इन क्षेत्रों में सड़क की धूल, निर्माण कार्य, डेमोलिशन एक्टिविटी और बाढ़ क्षेत्र के पास की गतिविधियां प्रमुख प्रदूषण के स्रोत हैं। यहां मशीनों से सड़क सफाई, वाटर स्प्रिंकलिंग और धूल नियंत्रण उपाय किए जाएंगे।
गाजियाबाद में जिन सात जगहों को प्रदूषण हॉटस्पॉट के रूप में चिन्हित किया गया है, उनमें मोहान नगर, राजनगर एक्सटेंशन, लोनी, भोपुरा-दिल्ली बॉर्डर, सिद्धार्थ विहार/कनवानी पुश्ता रोड, विजय नगर/जीटी रोड इंडस्ट्रियल एरिया और लाल कुआं शामिल हैं।
प्रदूषण में आंशिक सुधार
यूपीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, दोनों शहरों में वायु गुणवत्ता में पिछले कुछ वर्षों में थोड़ा सुधार हुआ है। गाजियाबाद का औसत वार्षिक AQI वर्ष 2022 में 206 था, जो 2024 में घटकर 176 हो गया। वहीं नोएडा का AQI 199 से घटकर 184 हुआ। गुरुवार को गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा और नोएडा का AQI क्रमशः 252, 280 और 276 दर्ज किया गया, जो खराब श्रेणी में है। जबकि पिछले कुछ दिनों तक ये शहर बहुत खराब श्रेणी में बने हुए थे।
राष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार
स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2025 में, गाजियाबाद ने एक मिलियन से अधिक आबादी वाले 48 शहरों में 12वां स्थान हासिल किया है, जबकि नोएडा छोटे शहरों की श्रेणी में 9वें स्थान पर रहा। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि अभी और इलाकों को इस सूची में शामिल किया जाना चाहिए, खासकर औद्योगिक क्षेत्रों और दिल्ली-मेरठ रोड जैसे हिस्सों में, जहां प्रदूषण का स्तर लगातार ऊंचा बना हुआ है।
इस बातचीत में सुधार के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। नोएडा और गाजियाबाद में प्रदूषण कम करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। इन शहरों में सड़क सफाई, वाटर स्प्रिंकलिंग और धूल नियंत्रण उपाय किए जाएंगे। इससे हवा की गुणवत्ता में सुधार होगा और लोगों की सेहत में भी सुधार होगा।

