UP News: क्या आपने देखी है नदी के ऊपर बहती नहर? यूपी में छिपा है इंजीनियरिंग का ये नायाब नमूना!

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Last Updated:July 26, 2025, 19:24 ISTLucknow News: लखनऊ के पास इंदिरा डैम एक अनोखा इंजीनियरिंग नमूना है जहां गोमती नदी के ऊपर इंदिरा नहर बहती है. यह डैम 1958 में शुरू हुआ और 1975 में इंदिरा गांधी के समय पूरा हुआ. अब यह पर्यटन स्थल है.इंजीनियरिंग का नायाब नमूना (प्रतीकात्मक तस्वीर)हाइलाइट्सयूपी का इंदिरा डैम इंजीनियरिंग का एक नायाब नमूना है.यहां गोमती नदी के ऊपर से इंदिरा नहर बहती है.यह डैम अब एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन चुका है.लखनऊ: सोचिए एक ऐसी जगह जहां नदी के ऊपर से एक नहर गुजरती हो. सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगता है, लेकिन लखनऊ के पास बना इंदिरा डैम यही नज़ारा पेश करता है. यहां नीचे कल-कल करती हुई बहती है गोमती नदी, और उसके ऊपर से बहती है इंदिरा नहर. यह नजारा न सिर्फ देखने में शानदार लगता है, बल्कि भारतीय इंजीनियरिंग का एक नायब नमूना भी है.

लखनऊ से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित यह इलाका अब लोगों के लिए एक पसंदीदा घूमने की जगह बन चुका है. दोनों ओर बने पुल, आसपास की हरियाली और शांत वातावरण इसे घूमने की एक शानदार जगह बना देते हैं. इस रास्ते से सुल्तानपुर और बनारस की ओर जाने वाले लोग भी गुजरते हैं, जिससे यहां हमेशा हलचल बनी रहती है.

कैसे बना ये इंजीनियरिंग का नायाब नमूना?
यह डैम दरअसल एक एक्वाडक्ट है, जिसमें नीचे की चौड़ाई करीब 35 मीटर और ऊपर की 45 मीटर है. तेज़ बहाव के बावजूद नहर का पानी बिना किसी रुकावट के गुजरता है. इसकी मजबूती के लिए इसमें छह कॉलम और दो पियर्स बनाए गए हैं. कुछ समय पहले इसमें तकनीकी परेशानी आई थी, जिसे सुधारने के लिए IIT मुंबई की मदद ली गई और अब यह पूरी तरह सेफ है.

1958 में रखी गई थी नींवइंदिरा नहर परियोजना की शुरुआत 1958 में हुई थी. इसका मकसद था उत्तर प्रदेश के करीब 15 से 16 जिलों में पानी की आपूर्ति करना. बाद में 1975 में जब इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं, तब इस परियोजना को आगे बढ़ाया गया और इसे ‘इंदिरा नहर’ का नाम मिला. यही मॉडल आगे जाकर राजस्थान में भी अपनाया गया.

राजस्थान की नकल पर तैयार मॉडल
यह परियोजना राजस्थान के उस मॉडल से प्रेरित थी, जिसमें सतलज और व्यास नदियों का पानी शुष्क इलाकों तक पहुंचाने की योजना बनी थी. उसी तरह उत्तर प्रदेश में भी इंदिरा नहर को कई ज़िलों तक ले जाया गया. आज यह नहर सुल्तानपुर, जगदीशपुर जैसे इलाकों में पीने का पानी भी पहुंचाती है.
अब ये जगह केवल पानी की सप्लाई का केंद्र नहीं, बल्कि एक खूबसूरत पर्यटन स्थल भी बन चुकी है. लोग यहां दूर–दूर से घूमने आते हैं.

क्या आपने कासगंज का झाल ब्रिज देखा है?
ऐसा ही एक और अनोखा स्ट्रक्चर उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में है — नदरई पुल या झाल ब्रिज. यहां भी नहर ऊपर बहती है और नीचे नदी. यह पुल 1885 से 1889 के बीच अंग्रेजों के समय बना था. इसकी लंबाई करीब 346 मीटर है और यह गंगा नहर व काली नदी पर बना है. इसकी पानी छोड़ने की क्षमता 7095 क्यूसेक है. आज यह न सिर्फ ऐतिहासिक डैम है, बल्कि आर्किटेक्चर के छात्रों के लिए भी सीखने की एक बेहतरीन जगह बन गया है.
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