Uttar Pradesh

उत्तर प्रदेश के 558 मदरसों की नहीं होगी जांच, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्यों लगाई रोक, सरकार से जवाब भी मांगा

उत्तर प्रदेश के 558 अनुदानित मदरसों को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने केंद्रीय मानवाधिकार आयोग के आदेश पर शुरू हुई आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की जांच पर तत्काल रोक लगा दी है. बेंच ने स्पष्ट किया है कि एनएचआरसी का यह निर्देश उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है, क्योंकि मदरसों की वित्तीय जांच राज्य सरकार के दायरे में आती है.

मामला उत्तर प्रदेश के उन मदरसों से जुड़ा है जो राज्य सरकार से पूर्ण अनुदान प्राप्त करते हैं. इनमें लगभग 9,000 शिक्षक कार्यरत हैं और ये संस्थाएं मुस्लिम समुदाय के लाखों छात्रों को धार्मिक व आधुनिक शिक्षा प्रदान करती हैं. कुल 16,513 मान्यता प्राप्त मदरसों में से ये 558 पूर्ण अनुदानित हैं, जबकि शेष सहायता प्राप्त निजी संस्थाएं हैं. ईओडब्ल्यू की जांच का दायरा मदरसों में कथित अवैध फंडिंग, शिक्षकों की फर्जी नियुक्तियां, मस्जिद-मदरसे निर्माण में अनियमितताएं और विदेशी स्रोतों से धन प्राप्ति जैसे मुद्दों पर था.

यह विवाद तब शुरू हुआ जब बाराबंकी निवासी मोहम्मद तलहा अंसारी ने एनएचआरसी में शिकायत दर्ज की. उन्होंने आरोप लगाया कि इन मदरसों में वित्तीय घोटाले हो रहे हैं, जिसमें सरकारी अनुदान का दुरुपयोग, अवैध विदेशी फंडिंग और भ्रष्टाचार शामिल है. एनएचआरसी ने शिकायत को संज्ञान में लेते हुए ईओडब्ल्यू को 558 मदरसों की विस्तृत जांच का आदेश दिया. आयोग का तर्क था कि यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है, क्योंकि अनियमितताएं छात्रों की शिक्षा और संस्थाओं की पारदर्शिता को प्रभावित कर रही हैं.

आदेश के खिलाफ दायर हुई थी याचिका इस आदेश के खिलाफ टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया उत्तर प्रदेश, वाराणसी के मदारिस अरबिया और अन्य दो संस्थाओं ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि एनएचआरसी के पास मदरसों की वित्तीय जांच का अधिकार नहीं है. सुनवाई के दौरान ने कोर्ट ने माना कि यह एनएचआरसी के अधिकार क्षेत्र से बाहर का विषय है.

कोर्ट ने दी अंतरिम राहत बेंच ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा, लेकिन अंतरिम राहत देते हुए ईओडब्ल्यू की किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी. कोर्ट ने कहा, “एनएचआरसी का आदेश उसके विधिक दायरे से बाहर प्रतीत होता है. मानवाधिकार आयोग मुख्य रूप से मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच करता है, न कि वित्तीय अपराधों की. मदरसों की अनियमितताओं की जांच के लिए राज्य का मदरसा शिक्षा बोर्ड और ईओडब्ल्यू पहले से सक्षम हैं.” अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को निर्धारित की गई है.

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