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UP Election Result: सूखे बुंदेलखंड में BJP पर कैसे हुई सीटों की बारिश? 5 प्वाइंट में पढ़ें सफलता की कहानी



झांसी.  यूपी विधानसभा चुनाव 2017 के में बुंदेलखंड क्षेत्र की सभी 19 सीटों को जीत लेने वाली भाजपा सरकार के लिए 2022 के विधानसभा चुनाव में इस अप्रत्याशित जीत को दोहराना सबसे बड़ी चुनौती थी. इसे बरकरार रखने के लिए केंद्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार ने मिलकर बुंदेलखंड क्षेत्र में विकास का एक ऐसा मॉडल तैयार करने की शुरुआत की जिसमें सूखी बुंदेली जमीन पर हरियाली, खुशहाली, प्यास और पलायन रोकने का मंसूबा काम कर रहा था. इनमें से कुछ बड़ी योजनाएं अभी साकार रूप तो नहीं ले सकी हैं, लेकिन इन पर काम तेजी से चल रहा है. लोगों को उम्मीद रही कि झांसी के डिफेंस कॉरिडोर से लेकर हर घर नल जल और केन बेतवा लिंक परियोजनाओं के पूर्ण होते ही इस इलाके की सूरत बदल सकती है. यहीं कारण है कि भाजपा के इस मजबूत किले में सपा सिर्फ तीन सीटों पर ही सेंध लगा सकी है. हम आपको बता रहे हैं वे पांच परियोजनाएं जो भाजपा की विजय में दिया है बड़ा योगदान.
1- डिफेंस कॉरिडोर
भारत को सुरक्षात्मक दृष्टि से मजबूत बनाने के लिए केंद की मोदी सरकार ने डिफेंस कॉरिडोर के निर्माण का कार्य शुरू किया है. एक डिफेंस कॉरिडोर की सौगात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुंदलेखंड को भी दी है. इसका निर्माण झांसी जिले की गरौठा विधानसभा में किया जा रहा है. गरौठा विधानसभा यूपी की पिछड़ी विधानसभाओं में से एक रही है, लेकिन यहां करीब हजार करोड़ के डिफेंस कॉरिडोर के आने से यह बेहद खास सीट हो गई है. यहां दोबारा चुनाव जीतने वाले विधायक जवाहर लाल राजपूत कहते हैं कि बुंदेलखंड वीरों की और किसानों की भूमि है. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही देन है कि इस जमीन पर अब अनाज भी उगेगा और बंदूकें, तोप और बम भी बनेंगे.

2-हर घर नल जल योजना
‘गगरी फूट जाए..चाहे खसम मर जाए’. इस तरह की कहाबतें बुंदेलखंड में भीषण सूखा और पेयजल की त्रासदी को लेकर आम बात हुआ करती थीं. अभी तक बुंदेलखंड के यूपी वाले सभी 7 जिलों में पेयजल का घनघोर संकट था. महिलाएं मीलों चलकर पनी भरकर लाती रही हैं. इन हालातों को देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विंध्य और बंदेलखंड के 9 जिलों के गांव—गांव और घर—घर नल से पानी पहुंचाने की पहल शुरू की. केंद्रीय बजट में जलशक्ति मंत्रालय की जल जीवन मिशन-हर घर जल योजना को 2022-23 के लिए 60 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. इससे वित्त वर्ष 2022-23 में 3.80 करोड़ नए ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है.

3- केन बेतवा लिंक परियोजना

बुंदेलखंड से सूखा का का संकट खत्म करने के लिए केन बेतवा लिंक परियोजना बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है. तत्कालीन केंद्रीय गंगा एवं नदी विकास मंत्री उमा भारती ने केन बेतवा परियोजना को शुरू कराने के लिए पूरी ताकत लगाई थी. अब इस पर तेजी से काम शुरू हुआ है. मार्च 2021 में केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय और मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश सरकार के बीच केन-बेतवा लिंक परियोजना का एग्रीमेंट साइन हुआ था. केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए 44,605 ​​करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है. केंद्रीय कैबिनेट ने 39,317 करोड़ रुपए की राशि को मंजूरी दे दी है. केन बेतवा के पूरे होने से किसानों के सामने जो सूखा और सिंचाई का संकट आता है वह दूर हो जाएगा. इसके जरिए केन और बेतवा नदी को आपस में लिंक किया जाना है, जिससे पानी का एक चक्र पूरे बुंदेलखंड में तैयार कर नदी, तालाबों और जलश्रोतों को हमेशा भरा रखा जा सके.

4- बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे

बुंदेलखंड को अभी तक पिछड़ा और बदहाल इलाके के तौर पर ही देखा जाता रहा है, लेकिन कई बड़े कामों से यहां की तस्वीर बदल रही है. भाजपा सरकार के बड़ कार्यों में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे भी एक है. बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे से चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, ओरैया और इटावा जिलों को लाभ मिलने की उम्मीद है. झांसी से भी इसकी सीधी कनेक्टिविटी रहेगी. 14849.09 करोड़ की लागत से बनने वाला यह एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड क्षेत्र को सड़क मार्ग के जरिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से जोड़ेगा. इसके पूरे होते ही बुंदेलखंड को व्यापारिक लिहाज से भी काफी फायदे शुरू हो जाएंगे. विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिले फायदे में इसका भी योगदान रहा है और यह पीएम मोदी और योगी की रैलियों में गूंजता रहा है.

बिजली आपूर्ति, नलकूप और अन्ना जानवर

बुंदेलखंड में किसानों की सबसे बड़ी समस्या बिजली और सिंचाई के साथ अन्ना जानवर रहे हैं. इसे देखते हुए यहां बढ़े पैमाने पर किसानों को सरकारी छूट के साथ नलकूम कनेक्शन दिए गए. इससे किसानों को सिंचाई में आसानी हो गई. अन्ना जानवरों से छुटकारा दिलाने गांव गांव में गोआश्रय स्थलों का निर्माण भी कराया गया और यह जारी भी है. इससे कुछ हद तक किसानों को राहत मिलनी शुरू हो गई है. इसके साथ ही सपा सरकार में जो बिजली कुछ घंटे ही आती थी वह गांव में 18, कस्बों में 20 और शहरों में 24 घंटे सुनिश्चित हो गई. इससे किसानों को सिंचाई में आसानी हो गई. इसी तरह कई और कारण भी हैं जो बुंदेलखंड में भाजपा की जीत का बड़ा कारण बन गए हैं.

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