Unique Records Indian Cricketer AG Kripal Singh the one who Waited for 10 tests to get his maiden wicket |10 टेस्ट और 588 गेंद… पहले विकेट को सालों तरसता रहा ये भारतीय खिलाड़ी, दर्ज किया ये अनचाहा रिकॉर्ड

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Unique Records Indian Cricketer AG Kripal Singh the one who Waited for 10 tests to get his maiden wicket |10 टेस्ट और 588 गेंद... पहले विकेट को सालों तरसता रहा ये भारतीय खिलाड़ी, दर्ज किया ये अनचाहा रिकॉर्ड



अपने देश के लिए क्रिकेट खेलना किसी भी क्रिकेटर का सपना होता है. इससे भी खास होता है इंटरनेशनल क्रिकेट में पहला रन और पहला विकेट. कई ऐसे क्रिकेटर हैं, जिन्होंने पहली ही गेंद पर रन और विकेट लेकर अपने डेब्यू के पल को खास बनाया, लेकिन ऐसी भी खिलाड़ी हैं, जिन्हें पहले रन या विकेट के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा. इसी कड़ी में एक नाम भारत से भी है. इस पूर्व भारतीय को अपने पहले विकेट के लिए सालों इंतजार करना पड़ा था. आइए जानते हैं आखिर ये क्रिकेटर है कौन…
10 टेस्ट, 588 गेंदें और पहला विकेट
दरअसल, हम यहां जिस क्रिकेटर की बात कर रहे हैं वो भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 14 टेस्ट खेले चुके ए. जी. कृपाल सिंह हैं. 6 अगस्त 1933 को मद्रास में जन्मे ए. जी. कृपाल सिंह ने भारत के लिए 1955 में डेब्यू किया और 1964 में अपने इंटरनेशनल करियर का आखिरी टेस्ट खेला. उनका डेब्यू मैच बल्ले से तो शानदार रहा, जिसमें उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ नाबाद शतक जड़कर करियर की शुरुआत की. लेकिन उन्हें पहले टेस्ट विकेट के लिए 10 टेस्ट मैचों का इंतजार करना पड़ा. उन्हें टेस्ट क्रिकेट में अपना विकेट 9 पारियों और 10 टेस्ट मैचों में 588 गेंद फेंकने के बाद मिला. जो किसी भी गेंदबाज के अपने पहले विकेट के लिए ली गई सबसे ज्यादा गेंदों का एक अनचाहा रिकॉर्ड है. उन्होंने 1961-62 में इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट में अपना पहला विकेट लिया.
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विरासत में मिला क्रिकेट
ए. जी. कृपाल सिंह को क्रिकेट विरासत में मिला था. उनका पूरा नाम अमृतसर गोविंदसिंह कृपाल सिंह था. वह एक आक्रामक बल्लेबाज और एक शदनार ऑफ स्पिनर थे. उनके पिता ए. जी. राम सिंह भी क्रिकेटर रहे, जिन्हें भारत के लिए कभी खेलने का मौका नहीं मिला. इतना ही नहीं, ए. जी. कृपाल सिंह के भाई मिल्खा सिंह भी क्रिकेटर थे. मिल्खा सिंह भारत के लिए चार ही टेस्ट खेल पाए. इसके अलावा कृपाल के एक और भाई, उनके दो बेटे, उनकी बेटी और एक भतीजा भी फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सक्रिय रहे.
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घरेलू क्रिकेट में चमका नाम
ए. जी. कृपाल सिंह ने घरेलू क्रिकेट में दमदार प्रदर्शन के दम पर भारतीय टीम में जगह बनाई थी. वह 1954-55 में मद्रास को रणजी ट्रॉफी जिताने में वाले अहम खिलाड़ियों में से एक थे, जिसमें उन्होंने 636 रन बनाए और 13 विकेट भी लिए. कृपाल ने सेमीफाइनल में भी उम्दा प्रदर्शन किया. उन्होंने बंगाल के खिलाफ इस मैच में क्रमशः 98 और 97 रन की पारी खेली. और तो और खिताबी जंग में भी कृपाल का बल्ला बोला. उन्होंने 75 और 91 रन की पारी खेली और 7 विकेट भी झटके थे. इस प्रदर्शन से सुर्खियों में आए कृपाल को 1955 में भारत के लिए डेब्यू का मौका मिल गया. उनका घरेलू क्रिकेट में आंकड़े शानदार हैं. 96 फर्स्ट क्लास मैचों में 10 शतक और 24 अर्धशतक लगाते हुए उन्होंने 4939 रन बनाए और 177 विकेट लिए. टॉप स्कोर 208 रन था.
ऐसा रहा इंटरनेशनल करियर
ए. जी. कृपाल सिंह के इंटरनेशनल करियर की बात करें तो उन्होंने 1955 में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेला. बल्ले से उनके लिए शानदार डेब्यू रहा, क्योंकि उन्होंने 100 रन की नाबाद शतकीय पारी खेली. यह उनका एकमात्र टेस्ट शतक भी था. 1958-59 में वेस्टइंडीज के खिलाफ बनाए तेज तर्रार 53 रन उनकी यादगार पारियों में एक है. वह 1959 में इंग्लैंड दौरे पर गई भारतीय टीम का हिस्सा थे. हालांकि, उंगली की चोट के कारण टीम से बाहर होने से पहले वह एक ही टेस्ट खेल पाए, जिसमें 41 रन बनाए. उन्होंने 1961-62 में तीन और 1963-64 में दो टेस्ट मैच खेले, जो इंग्लैंड के खिलाफ थे. उन्होंने भारत के लिए कुल 14 टेस्ट मैच खेले, जिसमें 1 शतक और 2 अर्धशतक के साथ 422 रन बनाए. वहीं, गेंदबाजी करते हुए उन्होंने 10 विकेट भी लिए. 53 साल की उम्र में उन्होंने हार्ट अटैक के चलते 22 जुलाई 1987 को दुनिया को अलविदा कह दिया. निधन के समय वह नेशनल सेलेक्टर थे.
इनपुट – आईएएनएस 



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