Understanding Weight Gain in Infants: छोटे बच्चों का वजन बढ़ना उनके डेवलपमेंट का अहम पहलू है, जो ओवरऑल हेल्थ और वेल बीइंग को दर्शाता है. इस बात समझना जरूरी है कि वो कौन-कौन से फैक्टर्स हैं जो आपके लाडले और लाडलियों के वजन बढ़ाने में मदद करते हैं. पैरेंट्स को इसके लिए जरूरी कदम उठाने होते हैं और सही तरह से फीडिंग प्रैक्टिस को फॉलो करना होता है, जिससे बच्चों का विकास हो पाए.
इन फैक्टर्स की मदद से होगा वेट गेन मशहूर पीडियाट्रिशियन डॉ. आभास गुप्ता (Dr. Abhas Gupta) ने ZEE NEWS को बताया कि वो कौन-कौन से कारण हैं जो चाइल्ड डेवलपमेंट के दौरान उनके वजन बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं.

1. ब्रेस्ट फीडिंग या फॉर्मूला फीडिंग (Breastfeeding or Formula Feeding)
ब्रेस्ट फीडिंग और फॉर्मूला फीडिंग के बीच किसी एक का चुनाव करना आपके चाइल्ड के वेट गेन को इम्पैक्ट कर सकता है. मां के दूध में कई अहम न्यूट्रिएंट्स और एंटी-बॉडीज होते हैं जो हेल्दी ग्रोथ में मदद करते हैं.वहीं फॉर्मुला मिल्क के जरिए उन न्यूट्रिएंस देने की कोशिश होती है जो ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मिलते हैं.
2. बार-बार दूध पिलाना और कितने मात्रा में फीड कर रहे हैं (Feeding Frequency and Volume)
नवजात बच्चं को थोड़ी-थोड़ी देर में दूध पिलाना चाहिए, आमतौर पर 2 से 3 घंटे में जिससे उनका वजन सही तरीके से बढ़ सके. इसके अलावा दूध की मात्रा कितनी है, इसको भी सुनिश्चित करना जरूरी है, जिससे प्रोपर ग्रोथ हो पाए. 
3. जन्म के समय वजन (Birth Weight)
जन्म के समय जिस बच्चे का वजन ज्यादा होता है वो अपने जीवन के पहले हफ्ते में टेम्परेरी वेट ड्रॉप एक एक्सपीरिएंस कर सकते हैं, फिर इसके बाद धीरे-धीरे वेट गेन होने लगता है. वहीं जन्म के समय जिन नवजात का वजन कम था उनको खास देखभाल की जरूरत होती है.
4. जेनेटिक फैक्टर्स (Genetics)
जेनेटिक फैक्टर्स इस बात को तय करते हैं कि नवजात का मेटाबॉलिज्म और ग्रोथ पैटर्न कैसा होगा. इसके लिए पैरेंट और दूसरे फैमिली मेंबर्स की ग्रोथ हिस्ट्री का पता लगाना होगा जिससे बच्चे के संभावित विकास का अनुमान लगाया जा सके.
 5. मेडिकल कंडीशंस (Medical Conditions)
कुछ मेडिकल कंडीशंस जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर और मेटाबॉलिक डिसऑर्ड आपके बच्चे की वेट गेन की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं. इसके लिए सही समय पर डाइग्नोसिस और सही इलाज किया जाना चाहिए.
 
डेवलपमेंट माइलस्टोन
1. बर्थ वेट का रिगेन हो जाना (Birth Weight Regain)
आमतौर पर नवजता 2 हफ्ते का होने पर अपना बर्थ वेट वापस हासिल कर लेगा है, इससे पता चलता है कि उसकी फीडिंग सही तरीके से हो रही है और ग्रोथ भी अच्छी है
2. वेट गेन पैटर्न (Weight Gain Patterns)
आमतौर पर नवजात का वजन 4 से महीने में बर्थ वेट का दोगुना हो जाता है, हालांकि हर बच्चे के मामले में ये आंकड़ा थोड़ा अलग-अलग हो सकता है.
3. कद और सिर का सरकमफेरेंस (Length and Head Circumference)
सिर्फ वजन को मॉनिटर करने से ओवरऑल ग्रोथ और डेवलपमेंट का सही अंदाजा नहीं लगाया जा सकता, इसके लिए कद और सिर के सरकमफेरेंस पर भी नजर रखनी होगी.

पैरेंट्स के लिए टिप्स
1. फीडिंग रूटीन बनाएं (Establish a Feeding Routine)
आप अपने बच्चे की भूख की टाइमिंग को पहचानते हुए एक फीडिंग रूटीन तैयार करें, जिससे पूरे दिन उनको उचित मात्रा में दूध मिल सके.
2. मदद लें (Seek Support)
अगर आपको बच्चे के वेट गेन और फीडिंग पैटर्न को लेकर चिंता हो रही है तो जरूरत पड़ने पर पीडियाट्रिशियन या लैक्टेशन कंसल्टेंट की मदद लें 
3. जिम्मेदारी से फीडिंग कराएं (Practice Responsive Feeding)
अपने बच्चे की भूख और पेट भरे होने के सिग्नल को पहचानें, जिससे उनका फूड इनटेक रेगुलेट किया जा सके और हेल्दी वेट गेन हो सके.
4. ग्रोथ को मॉनिटर करें (Monitor Growth)
अपने बच्चे के वजन को रेगुलर मॉनिटर करें, इसके अलावा हाइट और सिर के सरकमफेरेंस पर भी नजर रखें.
5. पोषणकारी वातावरण बनाएं (Create a Nurturing Environment)
अपने बच्चे के लिए एक पोषणकारी और मददगार वातावरण बनाएं, जिससे उसका इमोशनल वेल बीइंग और फिजिकल ग्रोथ बेहतर हो सके.

Disclaimer: प्रिय पाठक, संबंधित लेख पाठक की जानकारी और जागरूकता बढ़ाने के लिए है. जी मीडिया इस लेख में प्रदत्त जानकारी और सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है. हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित समस्या के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें. हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है.



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