Uttar Pradesh

उमेश पाल अपहरण केस में बड़ा खुलासा, अतीक के पक्ष में था CBI का एक अफसर ! जानें पूरा मामला



दिल्ली/लखनऊ. UP के बहुचर्चित उमेश पाल अपहरण केस में एक ऐसा खुलासा हुआ है जिसने पूरे देश को चौंका दिया है. दरअसल ये खुलासा प्रयागराज के उन्हीं सरकारी वकीलों ने किया है जो इस मामले की न्यायिक प्रक्रिया से लगातार जुड़े रहे हैं. इस मामले में सुशील कुमार जो सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता, फौजदारी हैं और वीके सिंह जो स्पेशल काउंसिल, MP/MLA कोर्ट ने ऐसा खुलासा किया है जिसे पूरे देश में भूचाल आ गया है और तमाम सवाल खड़े हो गए हैं. वहीं न्यूज 18 से उमेश पाल की पत्नी जया पाल की तरफ से कोर्ट में वकील विक्रम सिन्हा ने भी बातचीत की है. इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद देश को सबसे बड़े सवाल का जवाब भी मिल जायेगा कि आखिर क्यों उमेश पाल की पत्नी उमेश पाल हत्याकांड की CBI जांच नहीं चाहती हैं ?

दरअसल न्यूज़ 18 से MP/MLA कोर्ट के स्पेशल काउंसिल वीके सिंह ने बताया कि उमेश पाल अपहरण केस में राजू पाल मर्डर केस की जांच कर रहे CBI के डिप्टी एसपी अमित कुमार ने माफिया डॉन अतीक अहमद के समर्थन में कोर्ट में गवाही में गवाही दी थी जो चौंकाने वाली बात है. दरअसल वीके सिंह ने बताया कि 2005 में हुए बसपा विधायक राजू पाल मर्डर की जांच सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को ट्रांसफर कर दी थी और उस मामले में सीबीआई से विवेचक के तौर पर डिप्टी एसपी अमित कुमार आए थे. बीते दिनों जब उमेश पाल अपहरण केस में सुनवाई चल रही थी तब डिफेंस विटनेस की लिस्ट आती है जिसमें डिप्टी एसपी अमित कुमार का भी नाम आता है. कोर्ट उनको तलब करता है और जब अमित आते हैं तो वो झूठा बयान देते हैं कि उमेश पाल का अपहरण नहीं हुआ है. जबकि राजू पाल हत्याकांड में वो सीबीआई के विवेचक थे और उन्होंने उमेश पाल का बयान लिया था बावजूद इसके कि उमेश पाल चश्मदीद साक्षी थे. उन्होंने उनका बयान तो लिया लेकिन केस डायरी में 161 का बयान दर्ज नहीं किया. जो साफ तौर पर दिखाता है कि उन्होंने जानकर प्रक्रिया का पालन नहीं किया.

इस मामले से जुड़े दूसरे सरकारी वकील सुशील कुमार वैश्य जो सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता, MP/MLA कोर्ट हैं ने बताया कि उमेश पाल अपहरण केस में सीबीआई के डिप्टी एसपी अमित कुमार को माननीय कोर्ट की तरफ से तलब किया गया था. अमित कुमार इस केस के विवेचक नहीं थे. वो न्यायालय के परमिशन से आए और उन्होंने इस केस में अभियुक्तों (अतीक अहमद गैंग) को फायदा पहुंचाने वाले कथन किए जबकि उन्होंने जो उसमें कहा कि उमेश पाल राजू पाल हत्याकांड में चस्मदीद साक्षी नहीं थे. उनके इस बयान को CBI की केस डायरी में कोई वर्णन नहीं है. अगर वो इस केस के विवेचक नहीं थे तो उनको इस तरह के वक्तव्य देने की जरूरत नहीं थी क्योंकि इसका सीधा लाभ अतीक अहमद को मिलने की संभावना थी लेकिन चूंकि वो ये नहीं बता पाए कि हमने जो उमेश पाल से बयान लिए थे उसको रिकॉर्ड किया या नहीं किया. लास्ट में उनसे जिरह हुई तो उन्होंने कहा कि बयान रिकॉर्ड नहीं किए थे.

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न्यायालय ने फिर ये माना कि उनका बयान विश्वसनीय नहीं है. 25 जनवरी 2005 को राजू पाल का मर्डर हुआ, उसी दिन पूजा पाल ने FIR की और उसी दिन बतौर साक्षी उमेश पाल का 161 का बयान होता है. इसमें कदापि कोई संदेह नहीं होना की चाहिए कि उमेश पाल राजू पाल मर्डर केस में साक्षी नहीं थे . कैसे किन परिस्थितियों में उन्हें साक्षी नहीं बनाया ये तो DSP महोदय ही जाने, लेकिन उन्होंने कोई बयान अपनी केस डायरी में साक्षी नहीं बनाया. अदालत ने DSP के बयान को विश्वसनीय साक्ष्य नहीं माना इसलिए अतीक और आरोपियों को सजा हुई.

वहीं उमेश पाल अपहरण केस में जया पाल के वकील एडवोकेट विक्रम सिन्हा ने बताया किबचाव पक्ष (अतीक अहमद) की तरफ से CBI के एक अधिकारी का नाम लिस्ट में दिया गया और बचाव पक्ष की तरफ से उन्होंने गवाही दी. उन्होंने कहा कि मैंने जब DSP से क्रॉस क्वेश्चन किया और सवाल पूछा कि यदि आपने उमेश पाल बयान लिया था तो दर्ज क्यों नहीं किया तो वो उसका जवाब नहीं दे सके, उन्होंने बहुत गलत तरीके से कोर्ट में आकर बयान दिया. विक्रम सिन्हा ने कहा कि डिप्टी एसपी ने जो बयान लिया वो पार्ट ऑफ केस डायरी होना चाहिए था लेकिन डिप्टी एसपी ने इसे डिलीट किया. विक्रम सिन्हा ने कहा कि सीबीआई के अधिकारी के इस पक्षपाती रवैए की वजह से ही उमेश पाल हत्याकांड की जांच उमेश पाल की पत्नी UP पुलिस से ही चाहती हैं क्योंकि उन्हें अब सीबीआई पर भरोसा नहीं है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Lucknow news, UP newsFIRST PUBLISHED : April 28, 2023, 19:07 IST



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