Uttar Pradesh

ट्रंप टैरिफ : अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ नोएडा के व्यापारियों ने निकाला हल, इस फैसले से ट्रंप भी हो जाएंगे हैरान

नोएडा. अमेरिका ने भारत के हैंडीक्राफ्ट और लाइफस्टाइल उत्पादों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है. 27 अगस्त से लागू यह फैसला न केवल उद्योग जगत बल्कि लाखों कारीगरों की आजीविका के लिए भी बड़ा संकट बन गया है. नोएडा, दिल्ली-एनसीआर, मुरादाबाद, आगरा, वाराणसी, जोधपुर और जयपुर जैसे हस्तशिल्प क्लस्टरों में तैयार माल गोदामों में अटका पड़ा है, पुराने ऑर्डर ठप हैं और निर्यातकों का पैसा भी फंसा हुआ है. उत्पादन आधे से ज्यादा घट चुका है और दो से सात तारीख के बीच कर्मचारियों को वेतन देने में दिक्कत आ रही है. इसी संकट से निपटने के लिए बाइंग एजेंट्स एसोसिएशन (बीएए) ने रविवार को एक बैठक आयोजित की, जिसमें उद्योग जगत ने मिलकर नई रणनीति बनाई.

इस तरह निकाला हलबैठक के बाद लोकल 18 से बातचीत में बीएए की चेयरपर्सन रूमा मलिक ने कहा कि अब तक सभी संगठन अलग-अलग स्तर पर प्रयास कर रहे थे, लेकिन अब सब मिलकर आगे बढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि एक ही बाजार पर निर्भरता ने हमें मुश्किल में डाला है. अब गल्फ, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और साउथ अमेरिका जैसे नए बाजारों में रोड-शो करेंगे. वहां की मांग के हिसाब से उत्पाद तैयार होंगे. हमारा मकसद है कि भविष्य में इस तरह के झटकों से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत पकड़ बनाई जाए.

कारीगर और सप्लाई चेन पर संकट नोएडा की उद्योगपति अपूर्वा अग्रवाल ने कहा कि हैंडीक्राफ्ट केवल एक व्यापार नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर और लाखों परिवारों की जीविका का साधन है. यह टैरिफ हमारे कारीगरों और पूरी सप्लाई चेन के लिए अस्तित्व का संकट है. अगर सरकार ने समय रहते मदद नहीं की तो नौकरियों पर खतरा मंडरा जाएगा. एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन (EPM) अगर सही समय पर लागू हो गया तो यह उद्योग के लिए संजीवनी होगा. उन्होंने कहा कि आज की बैठक में कई रास्ते निकाले गए हैं ताकि निर्यातक और खरीदार दोनों कम से कम प्रभावित हों और उद्योग धीरे-धीरे पटरी पर लौट सके.

संगठनों और कंपनियों ने मिलाया हाथबैठक में उद्योग जगत की कई संस्थाएं और कंपनियां शामिल हुईं. इनमें बीएए के अलावा एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल, एसइपीसी, टैक्सप्रोसिल, प्लेसकोसिंल, एइपीसी, सोइपीसी, एचइपीसी जैसे संगठन और रोज, स्टोर्स, फ्लैटवर्ल्ड, ट्रीबर्ग, इम्पल्स, इंडस वैली, सीसीइआइ, मेडोक सचिंग, आरएमएस, इंडसोर्स इंटरनॅशनल, ग्लोबल रिसोर्स जैसी कंपनियों के प्रतिनिधि मौजूद रहे. एक व्यापारी मनोज ने कहा कि हमारी प्राथमिकता यह है कि फैक्ट्रियों में काम कर रहे लाखों कारीगरों की नौकरियां बची रहें. इसके लिए हम संयुक्त रणनीति बनाकर सरकार के सामने रखेंगे.

पैकेज बनेगा संजीवनीबैठक में यह तय हुआ कि सरकार से 20 से 25 हजार करोड़ रुपए के एक्सपोर्ट प्रमोशन पैकेज की मांग की जाएगी. इस पैकेज के लागू होने से रुके हुए ऑर्डर और अटके माल को राहत मिलेगी और अमेरिका पर निर्भरता कम करके यूरोप, मध्य पूर्व, अफ्रीका और एशियाई देशों में नए अवसर खोले जा सकेंगे. उद्योग जगत का मानना है कि यदि यह पैकेज समय रहते लागू हो गया तो संकटग्रस्त हैंडीक्राफ्ट उद्योग को नई ऊर्जा मिलेगी और लाखों परिवारों की रोज़ी-रोटी बची रहेगी.

You Missed

Scroll to Top