Top 5 Osteoporosis Symptoms That Can Weaken Our Bone and Make Them Brittle | हड्डियों को खोखला कर चूरा बना देती है ये एक बीमारी, 5 लक्षण दिखें तो जाएं डॉक्टर के पास

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Top 5 Osteoporosis Symptoms That Can Weaken Our Bone and Make Them Brittle | हड्डियों को खोखला कर चूरा बना देती है ये एक बीमारी, 5 लक्षण दिखें तो जाएं डॉक्टर के पास



Osteoporosis Symptoms: ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसा मेडिकल कंडीशन है जिसमें हड्डियां कमजोर और ब्रिटल हो जाती हैं, जिससे फ्रैक्चर का रिस्क बढ़ जाता है. ये बीमारी बोन डेंसिटी में कमी और उनके स्ट्रक्चर में चेंज आने के कारण होती है. आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ बोन का मास कम होता है, लेकिन ऑस्टियोपोरोसिस में ये प्रॉसेस एब्नॉर्मल तरीके से तेज हो जाती है. ये बीमारी खासकर महिलाओं में मेनोपॉज के बाद और बुजुर्गों में ज्यादा देखा जाता है, क्योंकि हार्मोनल चेंजेज हड्डियों की सेहत को काफी अफेक्ट करते हैं.

हड्डियों के लिए क्यों खतरनाक है?ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों को इतना कमजोर कर देता है कि मामूली चोट या गिरने से भी फ्रैक्चर हो सकता है. कूल्हे, रीढ़ और कलाई की हड्डियां सबसे ज्यादा अफेक्ट होती हैं. रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर से झुकाव या कूबड़पन हो सकता है, जिससे मोबिलिटी और क्वालिटी ऑफ लाइफ पर असर पड़ता है. गंभीर मामलों में, फ्रैक्चर से परमानेंट डिसेबिलिटी या लंबे वक्त तक दर्द हो सकता है. ये डीजीज चुपके से प्रोग्रेस करती है, जिसके कारण इसे ‘साइलेंट डिजीज’ भी कहा जाता है, क्योंकि लक्षण तब तक क्लियर नहीं होते, जब तक कोई गंभीर चोट न लग जाए.

ऑस्टियोपोरोसिस के 5 आम लक्षण  
1. हड्डियों में दर्द: खास तौर से पीठ या कमर में लगातार दर्द, जो रीढ़ की हड्डी में हल्के फ्रैक्चर के कारण हो सकता है.
2. कद में कमी: रीढ़ की हड्डी में कंप्रेशन फ्रैक्चर के कारण हाइट कम हो सकती है.
3. लोअर पोश्चर: रीढ़ की हड्डी की कमजोरी के कारण कूबड़पन या आगे की ओर झुकाव देखने को मिलता है.  
4. आसानी से हड्डी टूटना: मामूली चोट या दबाव से हड्डियों का टूटना, जैसे कलाई या कूल्हे का फ्रैक्चर होना आम है
5. मोबिलिटी में कमी: कमजोर हड्डियों के कारण चलने-फिरने में दिक्कत या बॉडी को बैलेंस करने में प्रॉब्लम्स का सामना करना पड़ सकता है.

प्रिवेंशन और ट्रीटमेंटऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के लिए कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर डाइट, रेगुलर वर्कआउट (जैसे वेट-बेयरिंग एक्सरसाइज), और सिगरेट-शराब से परहेज जरूरी ह. ऑर्थोपेडिक डॉक्टर बोन डेंसिटी टेस्ट (DEXA Scan) के जरिए इसकी जांच करते हैं और दवाइयों या हार्मोन थेरेपी की सलाह दे सकते हैं. सही वक्त पर डायग्नोसिस और इलाज से इस बीमारी के असर को कम किया जा सकता है.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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