रामपुर में शहद की सच्चाई जानने के आसान तरीके
आज के समय में बाजार में शहद के नाम पर क्या असली है और क्या नकली यह पहचानना आम लोगों के लिए बहुत मुश्किल हो गया है. हर बोतल पर शुद्ध शहद का लेबल लगा होता है, लेकिन हकीकत इससे काफी अलग होती है. रामपुर के रहने वाले जगदीश कुमार मौर्य जो पिछले दो दशक से मधुमक्खी पालन कर रहे हैं, उन्होंने असली और नकली शहद की पहचान के कुछ ऐसे आसान तरीके बताए हैं, जिन्हें सुनकर आप भी घर पर शहद की सच्चाई जांच सकते हैं.
असली शहद की पहचान कैसे करें?
जगदीश मौर्य कहते हैं कि असली शहद जब आप खाएंगे तो 2 से 3 सेकेंड में ही मुंह की मिठास खत्म हो जाएगी. अगर मिठास लंबे समय तक बनी रहती है तो समझ लीजिए कि वह शहद नकली है. उनका कहना है कि असली शहद की मिठास हल्की और प्राकृतिक होती है, जबकि नकली शहद में शुगर या ग्लूकोज मिलाने से उसकी मिठास देर तक बनी रहती है.
अगर आप शहद में सिरका की एक बूंद और थोड़ा पानी डालेंगे, तो अगर वह असली है तो झाग नहीं बनेगा, लेकिन नकली शहद में झाग उठने लगता है. यह बहुत पुराना और कारगर तरीका है. जगदीश के मुताबिक जब आप शहद की एक बूंद मिट्टी पर डालेंगे तो वह मोती की तरह चमकता रहेगा और मिट्टी में समाएगा नहीं. उसे उठाने की कोशिश करेंगे तो वह या तो उठ जाएगा या लुढ़क जाएगा, लेकिन मिट्टी में नहीं घुसेगा. अगर वह फैल जाए या फट जाए तो समझ लीजिए नकली है.
वह आगे कहते हैं कि असली शहद कपड़े पर भी नहीं समाता. अगर आप एक बूंद कपड़े पर डालेंगे तो वह मोती जैसी बनी रहेगी. जैसे ही कपड़ा झुकाएंगे तो वह लुढ़क जाएगी, लेकिन कपड़े में समाएगी नहीं. लेकिन नकली शहद कपड़े में धब्बा छोड़ देगा या फैल जाएगा.
पानी वाला तरीका: सबसे आसान और आखिरी तरीका जगदीश मौर्य पानी वाला तरीका बताते हैं. एक गिलास पानी लीजिए उसमें एक चम्मच शहद डालिए. अगर शहद असली है तो वह गिलास के तले में बैठ जाएगा और जब तक आप उसे चलाएंगे नहीं वह घुलेगा नहीं. लेकिन अगर शहद नकली है तो वह खुद-ब-खुद घुलना शुरू कर देगा.
असली शहद स्वाद में बेहतर
जगदीश मौर्य का कहना है कि असली शहद न सिर्फ स्वाद में बेहतर होता है, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद है. शहद असली तभी होता है जब वह मधुमक्खियों से प्राकृतिक रूप से निकाला गया हो न कि मिलावट करके बनाया गया हो.
अगर आप भी शहद खरीदते हैं तो इन आसान और घरेलू तरीकों से इसकी असलियत जांच सकते हैं. ये टिप्स किसी लैब टेस्ट से कम नहीं हैं, बल्कि एक ऐसे शख्स के अनुभव से निकले हैं जिसने अपनी जिंदगी मधुमक्खियों के साथ गुजारी है.