भारत में हर 11 में से एक व्यक्ति डायबिटीज से पीड़ित है और हर 10 में से एक थायराइड डिसऑर्डर से जूझ रहा है. लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि इन दोनों बीमारियों के बीच गहरा संबंध है, जिसे ज्यादातर लोग नजरअंदाज कर देते हैं. हाल ही में सामने आई जानकारी के मुताबिक, टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में से करीब 25% यानी हर चौथे मरीज को हाइपोथायराइडिज्म (अंडरएक्टिव थायराइड) भी होता है. ये कॉम्बिनेशन शरीर के मेटाबॉलिज्म और एनर्जी सिस्टम को गंभीर रूप से प्रभावित करता है.
गले में स्थित तितली के आकार की थायराइड ग्रंथि शरीर की मेटाबॉलिक एक्टिविटी को कंट्रोल करती है. वहीं, इंसुलिन ब्लड शुगर लेवल को बनाए रखने का काम करता है. जब थायराइड का बैलेंस बिगड़ता है, तो इसका असर डायबिटीज पर भी होता है. हाइपोथायराइडिज्म में मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे वजन बढ़ता है और इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ती है. वहीं, हाइपरथायराइडिज्म में मेटाबॉलिज्म बहुत तेज हो जाता है, जिससे शुगर लेवल कंट्रोल से बाहर हो सकता है.
नजरअंदाज न करेंमेदांता अस्पताल की एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. परजीत कौर बताती हैं कि थायराइड की कई बार कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते. थकान, नींद न आना, वजन बढ़ना, याददाश्त कमजोर होना, कब्ज, सूखी त्वचा, ठंड सहन न होना और मसल्स में ऐंठन ये सभी लक्षण थायराइड के हो सकते हैं लेकिन लोग इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं. डायबिटीज के मरीजों में थायराइड की जांच जरूरी है क्योंकि दोनों मिलकर दिल, किडनी और आंखों पर गंभीर असर डाल सकते हैं.
डबल ट्रबल से कैसे बचें?एबॉट इंडिया की मेडिकल अफेयर्स हेड डॉ. रोहिता शेट्टी कहती हैं कि डायबिटीज के मरीजों को शुगर लेवल के टेस्ट के साथ-साथ नियमित रूप से थायराइड के टेस्ट भी करवाने चाहिए. दोनों की सही देखभाल से व्यक्ति नॉर्मल और हेल्दी लाइफ जी सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि हेल्दी डाइट, नियमित व्यायाम, दवाओं का पालन और समय-समय पर जांच से इस डबल बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.