मेरठ. डॉलफिन को देखकर बच्चों से लेकर बड़ों तक सब प्रफ्फुलित होते हैं. डॉलफिन की अठखेलियां सभी को खासी लुभाती हैं. उत्तर प्रदेश सरकार इस जलीय जंतु को लेकर काफी सजग है. यही कारण है कि जल्द ही होने वाली गैंगेटिक डॉलफिन की गणना के लिए अहम कदम उठाए जा रहे हैं. खबर के अनुसार इस बार डॉलफिन की गणना के लिए बार ईको मैथेड साउंड और डायरेक्ट साइटिंग के तरीके अपनाए जाएंगे. ऐसा इसलिए होगा ताकि गणना में किसी भी तरह की चूक ना हो और बिलकुल सही स्थिति सामने आ सके.
स्टाफ को मिली है खास ट्रेनिंगगणना को लेकर डीएफओ राजेश कुमार का कहना है कि वन विभाग डबल्यूआईए डब्लयूआईएफ के साथ मिलकर गैंगेटिक डॉलफिन सेंसस करेगा. उनके अनुसार इस बार डॉलफिन की गणना को लेकर स्टाफ को विशेष ट्रेनिंग दी गई है. डायरेक्ट साइटिंग ईको मैथेड और साउंड के आधार पर जब गणना होगी तो ये सटीक होगी. ज़िला वन अधिकारी का कहना है कि क्योंकि डॉलफिन देख नहीं पाती, वो साउंड के आधार पर ही कार्य करती है इसलिए इस जलीय जंतु के साउंड यानि आवाज़ की तरंगों से गणना की जाएगी. चार दिसम्बर से शुरू होकर ये गणना तकरीबन बीस दिन तक चलेगी. सेकेंड फेज़ की गणना की तारीख का ऐलान बाद में होगा.
इस बार रिकॉर्ड टूटने की उम्मीदगौरतलब है कि पिछले सेंसस में गंगा में 41 डॉलफिन पाई गई थीं. इस बार वन विभाग को उम्मीद है कि डॉलफिन का कुनबा हाफ सेंचुरी जरूर लगाएगा. फॉरेस्ट डिपार्टमेंट का अनुमान है कि इस बार ये आंकड़ा बढ़कर पचास पार कर जाएगा. डीएफओ के अनुसार गंगा में संरक्षण और संवर्धन के कारण डॉलफिन की संख्या लगातार बढ़ रही है. गंगा में डॉलफिन की संख्या बढ़ना ये बताता है कि गंगा की स्थिति भी अच्छी हो गई है. दरअसल गैंगेटिक डॉलफिन साफ जल में ही रहती है. पिछले वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो 2015 में 22 डॉलफिन देखी गई थीं. 2016 में 30 डॉलफिन देखी गई थीं. 2017 में 32 डॉलफिन देखी गई थीं. 2018 में 33 डॉलफिन देखी गई थीं. 2019 में 35 डॉलफिन देखी गई और 2020 की गणना में 41 डॉलफिन देखी गई हैं जो अब तक का रिकॉर्ड है. उम्मीद है कि इस बार डॉलफिन की गणना में ये रिकॉर्ड टूटेगा और डॉलफिन हाफ सेंचुरी लगाएगी.
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