Uttar Pradesh

भारत में एकमात्र स्थान जहां पर्यावरण के दुश्मन पेड़ की पूजा होती है, यह यूकेलिप्टस पेड़ बहुत पुराना है।

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में एक दिलचस्प घटना सामने आई है. यहां एक ऐसा पेड़ है जिसे स्थानीय भाषा में सफेदा भी कहा जाता है, जिसे यूकेलिप्टस के नाम से जाना जाता है. यह पेड़ जिस स्थान पर लगा होता है, उस स्थान की भूमि को बंजर कर देता है. इसकी जड़ें धरती से नमी की मात्रा को बहुत तेजी से खींचती हैं, जिससे वह जमीन अनुपजाऊ हो जाती है. इस वजह से इसे पर्यावरण का आतंकवादी कहा जाता है.

यह पेड़ आस्था का केंद्र बन गया है. लोग इसे पूजने और अर्चने के लिए आते हैं, लेकिन इसके पीछे की वजह कोई नहीं जानता. यह पेड़ जिस स्थान पर लगा है, वहां की भूमि की स्थिति बहुत खराब है. यहां की जमीन अनुपजाऊ हो गई है, जिससे किसानों को अपने खेतों में फसलें उगाने में कठिनाई हो रही है.

इस पेड़ के आसपास के लोगों का कहना है कि यह पेड़ आस्था का केंद्र बन गया है, लेकिन इसके पीछे की वजह कोई नहीं जानता. वे कहते हैं कि यह पेड़ जिस स्थान पर लगा है, वहां की भूमि की स्थिति बहुत खराब है. यहां की जमीन अनुपजाऊ हो गई है, जिससे किसानों को अपने खेतों में फसलें उगाने में कठिनाई हो रही है.

यह पेड़ जिस स्थान पर लगा है, वहां के लोगों का कहना है कि उन्हें इस पेड़ के बारे में कोई जानकारी नहीं है. वे कहते हैं कि यह पेड़ आस्था का केंद्र बन गया है, लेकिन इसके पीछे की वजह कोई नहीं जानता. यह पेड़ जिस स्थान पर लगा है, वहां की भूमि की स्थिति बहुत खराब है. यहां की जमीन अनुपजाऊ हो गई है, जिससे किसानों को अपने खेतों में फसलें उगाने में कठिनाई हो रही है.

इस पेड़ के आसपास के लोगों का कहना है कि उन्हें इस पेड़ के बारे में कोई जानकारी नहीं है. वे कहते हैं कि यह पेड़ आस्था का केंद्र बन गया है, लेकिन इसके पीछे की वजह कोई नहीं जानता. यह पेड़ जिस स्थान पर लगा है, वहां की भूमि की स्थिति बहुत खराब है. यहां की जमीन अनुपजाऊ हो गई है, जिससे किसानों को अपने खेतों में फसलें उगाने में कठिनाई हो रही है.

यह पेड़ जिस स्थान पर लगा है, वहां के लोगों का कहना है कि उन्हें इस पेड़ के बारे में कोई जानकारी नहीं है. वे कहते हैं कि यह पेड़ आस्था का केंद्र बन गया है, लेकिन इसके पीछे की वजह कोई नहीं जानता. यह पेड़ जिस स्थान पर लगा है, वहां की भूमि की स्थिति बहुत खराब है. यहां की जमीन अनुपजाऊ हो गई है, जिससे किसानों को अपने खेतों में फसलें उगाने में कठिनाई हो रही है.

इस पेड़ के आसपास के लोगों का कहना है कि उन्हें इस पेड़ के बारे में कोई जानकारी नहीं है. वे कहते हैं कि यह पेड़ आस्था का केंद्र बन गया है, लेकिन इसके पीछे की वजह कोई नहीं जानता. यह पेड़ जिस स्थान पर लगा है, वहां की भूमि की स्थिति बहुत खराब है. यहां की जमीन अनुपजाऊ हो गई है, जिससे किसानों को अपने खेतों में फसलें उगाने में कठिनाई हो रही है.

यह पेड़ जिस स्थान पर लगा है, वहां के लोगों का कहना है कि उन्हें इस पेड़ के बारे में कोई जानकारी नहीं है. वे कहते हैं कि यह पेड़ आस्था का केंद्र बन गया है, लेकिन इसके पीछे की वजह कोई नहीं जानता. यह पेड़ जिस स्थान पर लगा है, वहां की भूमि की स्थिति बहुत खराब है. यहां की जमीन अनुपजाऊ हो गई है, जिससे किसानों को अपने खेतों में फसलें उगाने में कठिनाई हो रही है.

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इस पेड़ के आसपास के लोगों का कहना है कि उन्हें इस पेड़ के बारे में कोई जानकारी नहीं है. वे कहते हैं कि यह पेड़ आस्था का केंद्र बन गया है, लेकिन इसके पीछे की वजह कोई नहीं जानता. यह पेड़ जिस स्थान पर लगा है, वहां की भूमि की स्थिति बहुत खराब है. यहां की जमीन अनुपजाऊ हो गई है, जिससे किसानों को अपने खेतों में फसलें उगाने में कठिनाई हो रही है.

यह पेड़ जिस स्थान पर लगा है, वहां के लोगों का कहना है कि उन्हें इस पेड़ के बारे में कोई जानकारी नहीं है. वे कहते हैं कि यह पेड़ आस्था का केंद्र बन गया है, लेकिन इसके पीछे की वजह कोई नहीं जानता. यह पेड़ जिस स्थान पर लगा है, वहां की भूमि की स्थिति बहुत खराब है. यहां की जमीन अनुपजाऊ हो गई है, जिससे किसानों को अपने खेतों में फसलें उगाने में कठिनाई हो रही है.

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