प्रशांत कुमार/बुलंदशहर:गेंहू व गन्ना उत्पादन में रिकार्ड कायम करने वाले जिले में अब किसानो की सोच बदलनी शुरू हो गई है.इसी बदली सोच ने सिकंदराबाद को नई पहचान दी है. यहां उगाए जाने वाले पालक की पहचान पहाड़ी क्षेत्र से लेकर दक्षिण भारत के तमाम राज्यों तक बन चुकी है. हर माह पालक यहां  से निर्यात होता है.12 मास पैदा होने वाला पालक पहाड़ से लेकर दक्षिण भारत के राज्यों तक निर्यात होने लगा है. किसान भी अपने खेतों में आलू, गेहूं और गन्ने की जगह पालक को तरजीह दे रहे हैं. बड़े कारोबारी भी कई एकड़ में पालक की खेती कर रहे हैं. यह पालक की खेती 12 माह होती है. इससे लगभग एक हजार से अधिक किसानों का रोजगार मिल रहा है.

पालक ऐसी हरी सब्जी है, जो आयरन, एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है और एक बार बुवाई करने के बाद उसकी पांच से छह बार कटाई की जाती है.एक बार पालक की कटाई होने के बाद लगभग 15 दिन दोबारा कटाई योग्य हो जाती है.इस फसल से किसानों को रोजाना हजारों की कमाई हो रही है. यहां पालक की खेती करने वाले किसान रोजाना 5 से 8 हजार रुपये कमा रहे हैं.इस खेती से किसानों की रोजाना की आमदनी हो रही है.  यह किसान पालक की खेती कर हर माह लाखों कमा रहे हैं.

दिल्ली एनसीआर के अलावा इन राज्यों में होती है आपूर्तियहां का पालक दिल्ली एनसीआर, देहरादून, हरिद्वार, महाराष्ट्र, मुंबई, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों समेत कई बड़े शहरों में सप्लाई किया जाता है.खास बात ये है कि नकदी फसल होने और सालभर उत्पादन होने से किसान पालक की फसल से लाखों रुपये महीने कमा रहे हैं.अब बाहर के व्यापारी भी पालक खरीदने के लिए बुलंदशहर के सिकंदराबाद में आने लगे हैं,जबकि ट्रांसपोर्ट के माध्यम से भी पालक को भेजा जाता है. यह पालक यूरिया और डीएपी से तैयार नहीं किया जाता ,बल्कि गोबर की देशी खाद डालकर उगाया जा रहा है. दिल्ली एनसीआर में इस पालक को  बुलंदशहरिया पालक कहते हैं.

क्या कहते हैं पालक की खेती करने वाले किसान राम अवतारपालक की खेती करने वाले किसान राम अवतार ने बताया कि सिकंदराबाद में पालक की खेती होती है. इस पालक को दिल्ली एनसीआर और उत्तराखंड के अलावा अन्य राज्यों में भेजा जाता है. सभी किसान अलग-अलग राज्य की मंडी भेजते हैं. कई सौ टन पालक रोजाना दिल्ली एनसीआर व अन्य जगह जा रहा है.
.Tags: Hindi news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : February 6, 2024, 13:06 IST



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