उत्तर भारत में चक्रवाती तूफान ‘मोथा’ ने मौसम का मिजाज पूरी तरह बदल दिया है. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और राजस्थान के कुछ हिस्सों में तेज हवाओं के साथ झमाझम बारिश जारी है. इस अनियमित बारिश से जहां लोगों को ठंडक का एहसास हुआ है, वहीं किसानों की परेशानी बढ़ गई है. रायबरेली में देर रात से जारी बारिश ने धान की तैयार फसल को नुकसान पहुंचाया है. खेतों में कटाई के लिए तैयार खड़ी फसलें भीगने और गिरने से प्रभावित हो रही हैं.
रायबरेली जिले के कई इलाकों में बारिश लगातार जारी है. खेतों में पककर तैयार खड़ी धान की फसल अब किसानों की चिंता का कारण बन गई है. कई किसानों ने कटाई शुरू कर दी थी, लेकिन बारिश ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया. जिन खेतों में फसल कट चुकी है, वहां खुले में रखे धान के ढेर बारिश में भीगकर खराब हो रहे हैं. किसानों का कहना है कि नमी बढ़ने से धान के दाने काले पड़ जाएंगे और उत्पादन पर बुरा असर पड़ेगा. गंगाखेड़ गांव के किसान कमलेश कुमार चौधरी ने बताया कि लगभग एक बीघा धान की फसल बारिश के कारण खेत में गिर गई है. उन्होंने कहा कि “पानी पड़ने से धान काला हो जाएगा और फसल सड़ने का खतरा है.” उन्होंने सरकार से नुकसान का आकलन कर मुआवजा देने की मांग की है.
जिला कृषि अधिकारी अखिलेश कुमार पांडेय ने बताया कि चक्रवाती तूफान ‘मोथा’ की वजह से हो रही लगातार बारिश से खेतों में खड़ी फसलें और नई बुवाई वाली फसलें दोनों प्रभावित हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि “तेज हवा और बारिश से खड़ी धान की फसल गिर सकती है. इससे दाने में नमी बढ़ेगी और गुणवत्ता पर असर पड़ेगा.” अखिलेश कुमार ने किसानों को सलाह दी कि जो खेत कटाई के लिए तैयार हैं, वहां फसल को जल्द से जल्द सुरक्षित करें. खुले में रखी फसलों को तिरपाल या पॉलीथिन से ढकें. जिन क्षेत्रों में जलभराव हो गया है, वहां पानी की निकासी की व्यवस्था करें ताकि बीज और पौधे सड़ने से बच सकें.
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार फिलहाल धान की कटाई और गेहूं की बुवाई का समय है. इस दौरान बारिश और हवाओं से फसलों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा. जिन किसानों ने गेहूं की बुवाई शुरू कर दी है, उनके खेतों में जलभराव से मिट्टी सख्त हो सकती है. इससे अंकुरण प्रभावित होगा. वहीं, सरसों, मसूर, मटर, आलू और हरी सब्जियों पर भी बारिश की मार देखने को मिल रही है. खेतों में लगातार नमी रहने से फफूंद और कीट रोग बढ़ने का खतरा है. सब्जी उत्पादक किसानों को पत्तों के गलने और जड़ों में सड़न जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. कृषि अधिकारी ने सब्जी और दलहन फसलों में फफूंदनाशक दवाओं के छिड़काव की भी सलाह दी है.
रायबरेली में किसानों का कहना है कि मौसम ने अचानक करवट ली, जिससे पूरी मेहनत पर पानी फिर गया. खेतों में खड़ी फसलें अब केवल नुकसान की कहानी बयां कर रही हैं. किसान अपनी मेहनत के खराब होने से चिंतित हैं और सरकार से राहत पैकेज की उम्मीद कर रहे हैं. जिले के कई इलाकों में कृषि विभाग की टीमें नुकसान का आकलन करने के लिए भेजी गई हैं. विभाग का कहना है कि रिपोर्ट तैयार होने के बाद प्रभावित किसानों को शासन की ओर से मदद दिलाई जाएगी.

