Uttar Pradesh

The 145-year-old history of Jhansi Railway Station will now be a thing of the past. Passengers will soon see a world-class railway station in place of this fort-like building.

Last Updated:December 20, 2025, 19:35 ISTNew Jhansi Railway Station : झांसी का 145 साल पुराना ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन भवन अब जल्द इतिहास बनने जा रहा है. ब्रिटिश शासनकाल में बने इस किलेनुमा ढांचे की जगह केंद्र सरकार एक आधुनिक और हाईटेक स्टेशन बनाने की तैयारी में है. यह स्टेशन आजादी से लेकर विकास तक का गवाह रहा है और यात्रियों की यादों का अहम हिस्सा भी है.झांसी: यूपी के झांसी का ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन भवन, जो वर्ष 1880 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा निर्मित किया गया था, अब जल्द ही इतिहास के पन्नों में सिमटने वाला है. केंद्र सरकार ने इस किलेनुमा ऐतिहासिक इमारत की जगह एक नया और अत्याधुनिक रेलवे स्टेशन भवन बनाने का फैसला किया है. करीब 145 वर्षों से देश की आजादी और विकास का साक्षी रहा यह स्टेशन न सिर्फ यात्रियों की सुविधा का केंद्र रहा, बल्कि झांसी की पहचान और गौरव भी बना.

1880 में बना किलेनुमा रेलवे स्टेशनब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1880 में झांसी रेलवे स्टेशन के इस भवन का निर्माण किले की तर्ज पर कराया था. इस भवन पर मरून और ऑफ व्हाइट रंग का विशेष प्रयोग किया गया था, जो इसे अन्य रेलवे स्टेशनों से अलग पहचान देता था. बताया जाता है कि इस स्टेशन के निर्माण से पहले ब्रिटिश हुकूमत ने तीन अलग अलग स्थानों का सर्वे किया था. लंबी प्रक्रिया और लगभग एक दशक के अंतराल के बाद यह भव्य किलेनुमा भवन बनकर तैयार हुआ.

यात्रियों की पहली पसंद बना ऐतिहासिक भवनदेश हो या विदेश, जो भी यात्री झांसी आता है या इस रेलवे स्टेशन से गुजरता है, वह इस ऐतिहासिक इमारत के सामने सेल्फी लिए बिना नहीं रह पाता. करोड़ों यात्रियों की यादों में यह भवन बसा हुआ है. कभी एशिया के सबसे बड़े रेलवे स्टेशनों में शुमार रहा झांसी रेलवे स्टेशन न केवल बाहर से बल्कि अंदर से भी अपनी भव्यता के लिए जाना जाता है.

1889 में हुआ था स्टेशन का उद्घाटनझांसी रेलवे स्टेशन का उद्घाटन 1 जनवरी 1889 को किया गया था. इसके बाद से यह स्टेशन देश के प्रमुख रेलवे जंक्शनों में शामिल हो गया. 145 वर्षों से अधिक समय तक यह भवन रेल यात्रियों की सेवा करता रहा. यह वही स्टेशन है जिसने भारत की आजादी से पहले का दौर देखा और आजादी के बाद देश की तरक्की की रफ्तार का भी साक्षी बना.

1857 की क्रांति का गवाह रहा स्टेशनयह रेलवे स्टेशन झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की 1857 की क्रांति का भी गवाह रहा है. आज इसे वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाता है. इस भवन की वास्तुकला में झांसी के किलों की झलक साफ दिखाई देती है, जो इसे शहर की ऐतिहासिक विरासत का अहम हिस्सा बनाती है.

अब बनेगा बुंदेलखंड की विरासत से सजा आधुनिक स्टेशन145 साल बाद केंद्र सरकार ने इस ऐतिहासिक इमारत को हटाकर एक नया आधुनिक स्टेशन बनाने का निर्णय लिया है. नया स्टेशन भवन बुंदेलखंड की विरासत, संस्कृति और साहित्य से प्रेरित होगा. इसमें हाईटेक साधन संसाधनों के साथ यात्रियों के लिए कई आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. स्टेशन की क्षमता बढ़ाई जाएगी ताकि भविष्य की जरूरतों को पूरा किया जा सके.

विकास कार्य शुरू, जल्द होगा निर्माणझांसी रेल मंडल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी मनोज कुमार सिंह ने बताया कि रेलवे स्टेशन के बाहर विकास कार्य शुरू कर दिए गए हैं. ऐतिहासिक भवन में संचालित सभी कार्यालयों को पहले वैकल्पिक स्थानों पर शिफ्ट किया जाएगा. इसके बाद इस पुराने भवन को तोड़कर नए स्टेशन के निर्माण का कार्य शुरू किया जाएगा. रेलवे का दावा है कि नया स्टेशन पूरी तरह आधुनिक होगा और यात्रियों की सुविधा को प्राथमिकता दी जाएगी.Location :Jhansi,Uttar PradeshFirst Published :December 20, 2025, 19:35 ISThomeuttar-pradeshब्रिटिश दौर की विरासत को अलविदा, झांसी स्टेशन बनेगा हाईटेक

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