इस्लाम में टैटू बनवाना क्यों माना गया है हराम?
आज के दौर में युवाओं के बीच टैटू बनवाने का क्रेज़ तेजी से बढ़ रहा है। बहुत से लोग इसे फैशन और स्टाइल का हिस्सा मानते हैं। लेकिन मुस्लिम समाज के लोग टैटू बनवाना गलत मानते हैं और टैटू बनवाने से परहेज करते हैं।
टैटू बनवाना इस्लामिक नज़रिये से यह कितना सही है और कितना गलत इस पर अक्सर सवाल उठते हैं। इसी सवाल का जवाब जानने के लिए हमने अलीगढ़ के मौलाना से खास बातचीत की।
जानकारी देते हुए अलीगढ़ के चीफ मुफ्ती मौलाना चौधरी इफराहीम हुसैन ने बताया कि इस्लाम में अल्लाह की बनाई हुई चीज़ों में बदलाव या दखल देना नाजायज़ और हराम माना गया है। इसी तरह टैटू बनवाना या बनाना दोनों ही गुनाह-ए-कबीरा यानी बहुत बड़ा गुनाह है।
मौलाना चौधरी इफराहीम हुसैन ने कहा कि टैटू बनवाना शरीअत के खिलाफ है। क्योंकि इसकी कोई मिसाल कुरान या हदीस में नहीं मिलती। यह अमल अल्लाह के हुक्मों के खिलाफ है। इसलिए इसे इस्लाम में हराम करार दिया गया है।
उन्होंने कहा कि मुस्लिम भाई-बहनों को टैटू बनवाने से बचना चाहिए। क्योंकि जो काम इस्लाम में जायज़ नहीं है उससे हमें बचना चाहिए। अगर किसी ने पहले से टैटू बनवा लिया है और अब वह अल्लाह की तरफ रुजू करना यानी अल्लाह के करीब जाना चाहता है, तो उसे तौबा करनी चाहिए और टैटू को हटवा देना जरूरी है।
जब तक वह तौबा नहीं करेगा उसके इस गुनाह की माफी नहीं होगी और उसे आखिरत में सज़ा का सामना करना पड़ सकता है। मौलाना ने कहा कि जो काम अल्लाह और उसके रसूल हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने करने का हुक्म दिया है या खुद करके दिखाया है, वही काम जायज़ और सवाब का काम होता है। टैटू बनवाना इनमें शामिल नहीं है, इसलिए इससे परहेज़ करना ही ईमानदार मुसलमान के लिए बेहतर है।
इसलिए, मुस्लिम भाई-बहनों को टैटू बनवाने से बचना चाहिए और अल्लाह के हुक्मों का पालन करना चाहिए।