अनंद नामक एक शहरी नागरिक, जो व्यक्तिगत क्षति और परिवारिक दबावों से जूझ रहा है, अपने पैतृक गांव में 10 दिनों के शोक संस्कार के दौरान एक यात्रा पर निकलता है। पश्चिमी भारत की कठोर सुंदरता के बीच, वह बाल्या, एक बचपन का दोस्त पाता है, जो समाजिक अपेक्षाओं का सामना कर रहा है और जो उसे सहानुभूति और संबंध बनाने में मदद करता है।
अनंद की कहानी एक शहरी नागरिक के रूप में उसकी यात्रा को दर्शाती है, जो अपने पैतृक गांव में अपने परिवार के दबावों के बावजूद अपने जीवन को फिर से शुरू करने की कोशिश करता है। वह अपने बचपन के दोस्त बाल्या के साथ मिलता है, जो उसे अपने जीवन के अनुभवों और संघर्षों के बारे में बताता है। दोनों के बीच एक गहरा संबंध बनता है, जो उन्हें अपने जीवन के लक्ष्यों और सपनों को पूरा करने में मदद करता है।
अनंद और बाल्या की कहानी एक सामाजिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य से देखी जा सकती है, जो भारतीय समाज में व्यक्तिगत और परिवारिक दबावों के बारे में बात करती है। यह कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि कैसे हम अपने जीवन को फिर से शुरू करने और अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कैसे काम कर सकते हैं।
अनंद और बाल्या की कहानी एक प्रेरक और संवेदनशील कहानी है, जो हमें अपने जीवन के महत्वपूर्ण मुद्दों के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करती है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि कैसे हम अपने जीवन को फिर से शुरू करने और अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए काम कर सकते हैं।