Health

Study shows medical expenditures have significantly reduced the quality and quantity of dietary item | स्टडी- महंगे इलाज के कारण लोग नहीं खा पा रहे हेल्दी फूड्स लेकिन इन चीजों पर दिल खोल कर रहे खर्च



एम्स में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और मानव पोषण विभाग के एक अध्ययन के अनुसार, 80% से अधिक परिवारों ने चिकित्सा खर्च बढ़ने के कारण अनाज, दालों और चीनी के सेवन में कोई बदलाव नहीं किया, लेकिन फल, घी, दूध और दूध से बने उत्पाद, सब्जियां, मांस, अंडा और तेल की खपत कम कर दी. 
TOI के अनुसार, स्टडी को लीड करने वाले डॉ. अनूप सराया ने का कहना है कि लोगों के आहार में इस बदलाव का कारण यह हो सकता है कि अनाज और दालें सस्ती हैं और उन्हें अकेले ही भोजन के रूप में लिया जा सकता है, जबकि फल महंगे होते हैं साथ ही इन्हें खाने से भूख कम नहीं होती है. आहार में कमी से जुड़े अन्य कारकों में परिवारों का आवश्यकताओं (भोजन, स्वास्थ्य और शिक्षा) पर खर्च कम होना, बीमारी के बाद बचत कम होना, लिया गया ऋण, घरेलू संपत्तियां बिक जाना या परिवार में बीमारी के बाद पति-पत्नी का काम न करना शामिल थे.
 
इन लोगों को किया गया स्टडी में शामिल
अस्पताल आधारित क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन में तृतीयक देखभाल सार्वजनिक अस्पताल में पुरानी या बड़ी बीमारी वाले 414 रोगियों को शामिल किया गया. अध्ययन में प्रत्येक रोगी ने 2,550 परिवार के सदस्यों की कुल संख्या वाले एक घर का प्रतिनिधित्व किया.
स्टडी में यह बात आयी सामने
शोधकर्ताओं ने देखा कि आहार संबंधी वस्तुओं की खपत में कमी वाले ग्रामीण परिवारों की संख्या शहरी परिवारों की तुलना में 1.8 गुना अधिक है. भर्ती मरीजों वाले परिवारों में भोजन की खपत में 1.3 गुना की कमी आई. परिवार में बीमारी के बाद न केवल आहार संबंधी चीजें कम कर दी गई, बल्कि भोजन की गुणवत्ता से भी समझौता किया गया, उदाहरण के लिए, दूध और ग्रेवी को पतला करके या बिना पैक किए, सस्ते खाद्य पदार्थ खरीदकर.
निष्कर्ष
शोधकर्ताओं के अनुसार, समान स्वास्थ्य देखभाल के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की नीतियों के माध्यम से स्वास्थ्य व्यय बढ़ाया जाना चाहिए. लाभों के समान वितरण के लिए नीतियों और हस्तक्षेपों को डिजाइन करते समय उपायों की पहचान करने के लिए और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है.



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