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strong bones tips for post menopausal women know how to make bones strong world osteoporosis day 2021 samp | Strong bones: ये महिलाएं हड्डियों को ऐसे बना सकती हैं मजबूत, कभी नहीं होगा हड्डियों में दर्द



World Osteoporosis day 2021: महिलाओं में हड्डियां जल्दी कमजोर होने लगती हैं. जिसके कारण उन्हें हड्डियों में दर्द, फ्रैक्चर और हड्डी डिस्लोकेट होने का खतरा काफी ज्यादा हो जाता है. आमतौर पर महिलाओं में हड्डियां कमजोर होने का डर 30 साल की उम्र के बाद से शुरू हो जाता है. लेकिन पोस्ट-मैनोपॉज यानी रजोनिवृत्ति प्राप्त (औसतन 45 की उम्र के बाद) करने के बाद यह काफी ज्यादा हो जाता है. इसलिए डॉक्टर महिलाओं के लिए कुछ टिप्स बताते हैं, जिन्हें रजोनिवृत्ति प्राप्त कर चुकी महिलाएं या युवा महिलाएं फॉलो कर सकती हैं और हड्डियां कमजोर होने का खतरा कम कर सकती है.
आपको बता दें कि हर साल 20 अक्टूबर को वर्ल्ड ऑस्टियोपोरोसिस डे (World Osteoporosis day 2021) मनाया जाता है. ताकि लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस यानी हड्डियां कमजोर होने की बीमारी के बारे में जागरुकता फैलाई जा सके.
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Weak bones in women: हड्डियां कैसे कमजोर हो जाती हैं?जेपी हॉस्पिटल के डिपार्टमेंट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट के डायरेक्टर डॉ. संजय गुप्ता के मुताबिक, हड्डियां एक जीवित टिश्यू है, जो नियमित रूप से खुद को रिपेयर और रिन्यू करती हैं. क्योंकि, रोजाना की शारीरिक गतिविधि के कारण उनमें माइक्रोस्कॉपिक यानी सूक्ष्म रूप से डैमेज हो जाता है. इस प्रक्रिया को बोन टर्नओवर कहते हैं, जिसके लिए सेल्स के दो सेट्स जिम्मेदार होते हैं. पहला सेट यानी ऑस्टियोक्लास्ट (osteoclast) हड्डियों को खोदने और दूसरा सेट ऑस्टियोब्लास्ट (osteoblast) नयी हड्डी को बनाने का कार्य करता है.
ये दोनों प्रक्रिया समानांतर चलती रहती हैं, ताकि हड्डियों के स्वास्थ्य में संतुलन बना रहे. लेकिन जब हड्डियों के रिसोर्प्शन यानी कमजोर होने की गति में बढ़ोतरी हो जाती है, तो बोन टिश्यू कम होने लगते हैं और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. हालांकि, यह स्थिति उम्र के बढ़ने के साथ सभी में आने लगती हैं, लेकिन महिलाओं में पोस्ट-मैनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन हॉर्मोन की कमी के कारण यह ज्यादा गंभीर हो जाती है.
मेनोपॉजल चेंज के दौरान विटामिन डी, कैल्शियम और एक्सरसाइज की मददडॉ. संजय गुप्ता का कहना है कि, महिलाओं में मेनोपॉजल चेंजेस होने के दौरान हड्डियां कमजोर होने से बचाने के लिए कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा प्राप्त करना बहुत जरूरी हो जाता है. इसलिए डाइट में चीज़, योगर्ट के साथ पालक, ब्रॉकली, ड्राइड फ्रूट्स, नट्स (खासतौर से अखरोट, बादाम, ड्राई फिग आदि) का सेवन करना चाहिए. इसके साथ ही पर्याप्त मात्रा में सूरज की रोशनी ग्रहण करें, ताकि विटामिन डी का स्तर संतुलित रह सके. वहीं, कॉफी और एल्कोहॉल का सेवन सीमित कर दें.
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एंटी-इंफ्लामेटरी डाइट का सेवनएक्सपर्ट के मुताबिक, महिलाओं को मेडिटेरेनियन डाइट का सेवन करना चाहिए, जिसमें एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं. इस डाइट में फल, सब्जी, ओमेगा-3 युक्त मछली, साबुत अनाज आदि शामिल होते हैं. साथ ही हड्डियों के मजबूत बनने की प्रक्रिया के लिए जरूरी विटामिन डी युक्त कोड लिवर ऑयल, मैकेरेल मछली के अंडे आदि भी शामिल कर सकते हैं.
पोस्चर है जरूरी (right posture to sit)हड्डियों के लिए सबसे जरूरी एक्सरसाइज शरीर का सही पोस्चर बनाना और उसे फॉलो करना है. आपको बैठते हुए कमर को बिल्कुल सीधा रखना चाहिए, बेली बटन यानी नाभि को अंदर की तरफ रखें और कंधों को नीचे की तरफ आराम की स्थिति में रखें और शोल्डर ब्लेड्स अंदर की तरफ दबाएं रखें. बैठने के लिए यह पोस्चर सही होता है.
एक्सरसाइज (exercise for strong bones)एक्सपर्ट के मुताबिक, आपको वेट-बियरिंग, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और बैलेंस एक्सरसाइज का सही मिश्रण बनाकर चलना चाहिए. हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए हर हफ्ते में 3 दिन करीब 45-60 मिनट एक्सरसाइज करनी चाहिए. जब हड्डियों पर प्रेशर पड़ता है और मांसपेशियों के मास और ताकत में बढ़ोतरी होती है, तो बोन मास भी बढ़ने लगता है. अत्यधिक एक्सरसाइज करने की जरूरत नहीं है, बल्कि आप बैलेंस और एजिलिटी बढ़ाने वाली मध्यम एक्सरसाइज भी काफी है.
बैलेंस के लिए एक्सरसाइजअगर आप पहले से ही ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी से गुजर रही हैं, तो आप कुर्सी की मदद से बैलेंस एक्सरसाइज कर सकती हैं. आप कुर्सी को पकड़कर एक पैर पर खड़े होने की कोशिश करें और धीरे-धीरे बिना कुर्सी पकड़े ऐसा करने की कोशिश करें.
कितनी एक्सरसाइज करनी है जरूरी?शोध के मुताबिक, जब आप एक्सरसाइज करना छोड़ देते हैं, तो हड्डियों की हेल्थ गिरने लगती है. इसलिए खुद को हमेशा शारीरिक गतिविधियों में सक्रिय रखने की कोशिश करें. ध्यान रखें कि ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम करने के लिए किसी भी समय एक्सरसाइज कर सकते हैं.
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.



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