Uttar Pradesh

सरसों की फसलों का दुश्मन है ये सफेद फफूंदनुमा कीट, दिखते ही करें इन दवाओं का छिड़काव वरना होगा सिर्फ नुकसान

Last Updated:December 24, 2025, 10:02 ISTसरसों की फसल में फली आने की अवस्था पर सिंचाई करना बेहद आवश्यक है. सही समय पर सिंचाई करने से फसल का विकास बेहतर होता है और दाने भराव में भी मदद मिलती है. दिसंबर माह में सरसों की फसल में सबसे अधिक व्हाइट रस्ट रोग की संभावना रहती है. इस रोग के कारण पत्तियों और फलियों पर सफेद फफूंदनुमा लक्षण दिखाई देते हैं, जिससे उत्पादन प्रभावित होता है.ख़बरें फटाफटलखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में किसान बड़े पैमाने पर सरसों की खेती करते हैं. सरसों की खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसल मानी जाती है. सरसों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि अन्य फसलों की तुलना में इसमें लागत कम आती है और उत्पादन अच्छा मिलता है, जिससे किसानों की आमदनी मजबूत होती है.

कोहरे ने बढ़ाई परेशानी

हालांकि, दिसंबर के महीने में मौसम में बदलाव और घना कोहरा पड़ने के कारण सरसों की फसल में रोग और कीटों का प्रकोप बढ़ने लगता है. इस समय खेतों में नमी अधिक रहने से फसल प्रभावित हो रही है, जिससे किसान काफी परेशान नजर आ रहे हैं. अगर समय रहते इन रोगों और कीटों पर नियंत्रण नहीं किया गया तो उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है.

जिला कृषि अधिकारी लखीमपुर खीरी सूर्य प्रताप सिंह ने  जानकारी देते हुए बताया कि सरसों की फसल में फली आने की अवस्था पर सिंचाई करना बेहद आवश्यक है. सही समय पर सिंचाई करने से फसल का विकास बेहतर होता है और दाने भराव में भी मदद मिलती है.

व्हाइट रस्ट रोग से बचाव

उन्होंने बताया कि दिसंबर माह में सरसों की फसल में सबसे अधिक व्हाइट रस्ट रोग की संभावना रहती है. इस रोग के कारण पत्तियों और फलियों पर सफेद फफूंदनुमा लक्षण दिखाई देते हैं, जिससे उत्पादन प्रभावित होता है. ऐसे में किसानों को सलाह दी गई है कि 600 से 800 ग्राम मैनकोजेब को 250 से 300 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें. आवश्यकता पड़ने पर 15 दिन के अंतराल पर दो से तीन बार छिड़काव किया जा सकता है.

इसके अलावा, इस समय सरसों की फसल में पुष्पावस्था के दौरान माहू (एफिड) कीट का भी प्रकोप देखने को मिल रहा है. इसके नियंत्रण के लिए किसान प्रति एकड़ 2 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव कर सकते हैं, जिससे कीटों से फसल को बचाया जा सकता है.

मुनाफे वाली है फसल है सरसों

अगर बाजार भाव की बात करें तो वर्तमान समय में सरसों 6000 से 7000 रुपये प्रति कुंतल के भाव से बिक रही है. सरसों एक ऐसी फसल है जिसे लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है, जिससे किसान सही समय पर बेचकर बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं. कम लागत, अच्छा बाजार भाव और भंडारण की सुविधा के कारण सरसों किसानों के लिए एक लाभकारी फसल साबित हो रही है.About the AuthorVivek Kumarविवेक कुमार एक सीनियर जर्नलिस्ट हैं, जिन्हें मीडिया में 10 साल का अनुभव है. वर्तमान में न्यूज 18 हिंदी के साथ जुड़े हैं और हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की लोकल खबरों पर नजर रहती है. इसके अलावा इन्हें देश-…और पढ़ेंLocation :Lakhimpur,Kheri,Uttar PradeshFirst Published :December 24, 2025, 10:02 ISThomeagricultureसरसों की फसलों का दुश्मन है ये कीट, दिखते ही करें इन दवाओं का छिड़काव

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