Uttar Pradesh

सरसों की फसल में माहू कीट, सफेद रातुआ का अटैक? किसान भाई तुरंत अपनाएं ये 2 उपाय और बचाएं अपनी मेहनत

आजमगढ़: दिसंबर का महीना शुरू होते ही मौसम में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है. सुबह और शाम के समय बढ़ती ठंड, कोहरा और शीतलहर का असर अब खेतों में खड़ी फसलों पर भी साफ दिखाई देने लगा है. जिले में सब्जी और तिलहन की व्यावसायिक खेती करने वाले किसान इस समय अपने खेतों में मेहनत से फसल तैयार कर रहे हैं, लेकिन गिरते तापमान के कारण सरसों की फसल पर कई तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं. ठंड और नमी के चलते सरसों के पौधों में रोग और कीट लगने का खतरा तेजी से बढ़ गया है, जिससे समय पर बचाव न किया जाए तो पैदावार पर सीधा असर पड़ सकता है.

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार सर्दियों के मौसम में सरसों की फसल को विशेष देखभाल की जरूरत होती है. मौसम में हो रहे बदलाव के कारण पौधों की बढ़वार प्रभावित होती है और रोग तेजी से फैलते हैं. ऐसे में किसानों को नियमित रूप से खेतों का निरीक्षण करते रहना चाहिए, ताकि शुरुआती लक्षण दिखाई देते ही समय पर उपचार किया जा सके.

दिसंबर में सरसों की फसल में मंडराया खतराकृषि एक्सपर्ट डॉ. विजय बताते हैं कि दिसंबर के महीने में सरसों की फसल पर सफेद रतुआ, जिसे व्हाइट रस्ट भी कहा जाता है, का खतरा सबसे ज्यादा रहता है. यह एक फफूंद जनित रोग है, जो सबसे पहले पत्तियों पर असर दिखाता है. इस रोग में सरसों की पत्तियों पर सफेद धब्बे दिखाई देने लगते हैं. यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह रोग धीरे-धीरे दूसरे पौधों में भी फैल सकता है और पूरी फसल को नुकसान पहुंचा सकता है.

सरसों में रतुआ रोग से बचावडॉ. विजय के अनुसार सफेद रतुआ से बचाव के लिए किसान 600 से 800 ग्राम मैंकोजेब दवा को 300 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव कर सकते हैं. इस दवा का छिड़काव 15 दिनों के अंतराल पर 2 से 3 बार करने से फसल को इस रोग से सुरक्षित रखा जा सकता है. दवा का छिड़काव करते समय मौसम साफ होना चाहिए और तेज हवा से बचना जरूरी है.

माहू कीट से बचाव के उपायमाहू कीट से बचाव के लिए किसानों को खेतों की नियमित निगरानी करनी चाहिए. यदि किसी पौधे पर कीट के लक्षण दिखाई दें तो सबसे पहले प्रभावित पौधों को काटकर खेत से बाहर निकाल देना चाहिए. इसके बाद दो प्रतिशत नीम के तेल का छिड़काव किया जा सकता है. जरूरत पड़ने पर मेटासिस्टोक्स जैसे कीटनाशक का उपयोग भी किया जा सकता है, जिससे कीटों पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सके.

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर सही दवा और सही तरीके से किए गए उपचार से सरसों की फसल को ठंड, रोग और कीटों से सुरक्षित रखा जा सकता है. इससे किसानों की पैदावार बनी रहती है और आर्थिक नुकसान से भी बचा जा सकता है.

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