Uttar Pradesh

सरकारी नौकरी का सपना और संस्कृति को संजोने का संकल्प, जानें कौन है मंच पर चमकता सितारा

सुल्तानपुर जिले के ग्राम परउपुर के 21 वर्षीय प्रसून श्रीवास्तव पढ़ाई और कला, दोनों में संतुलन साधने का अनोखा उदाहरण हैं। ग्रेजुएशन पूरी कर चुके प्रसून जहां दिनभर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे रहते हैं, वहीं नवरात्रि के अवसर पर रामलीला में ब्रह्मा और इंद्र जैसे देवताओं की भूमिका निभाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। बुजुर्गों से अभिनय की कला सीखने वाले प्रसून अब अपने गांव के बच्चों को भी रामायण के आदर्शों से जोड़ने की प्रेरणा दे रहे हैं।

सुल्तानपुर के परउपुर गांव के 21 वर्षीय प्रसून श्रीवास्तव प्रतिभा का जीता-जागता उदाहरण हैं। ग्रेजुएशन पूरा कर चुके प्रसून जहां एक ओर दिन-रात प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे रहते हैं, वहीं नवरात्रि के अवसर पर मंच पर उतरकर ब्रह्मा और इंद्र जैसे देवताओं की भूमिका निभाकर सबको अचंभित कर देते हैं। उनकी यह कला न सिर्फ गांव में मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि बच्चों को भारतीय संस्कृति से जोड़ने का जरिया भी है।

प्रसून श्रीवास्तव बताते हैं कि उनका बचपन से ही अभिनय की ओर झुकाव रहा है। नवरात्रि के दौरान जब उनके गांव में रामलीला का आयोजन होता है, तो वे मंच पर देवताओं के विभिन्न पात्र निभाते हैं। ब्रह्मा और इंद्र जैसे देवताओं का अभिनय करना उनके लिए गर्व की बात है। यह कला उन्होंने गांव के बुजुर्गों से सीखी है और हर साल मंच पर उतरते हुए उसमें निखार लाते रहते हैं।

पढ़ाई और कला दोनों में संतुलन सुल्तानपुर शहर से लगभग सात किलोमीटर दूर स्थित ग्राम परउपुर निवासी प्रसून का जीवन एक अनोखा संतुलन दिखाता है। दिन के समय वे सरकारी नौकरी की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं, जबकि शाम को नवरात्रि के अवसर पर मंच पर उतरकर अभिनय का अभ्यास करते हैं। उनकी यह मेहनत बताती है कि पढ़ाई और कला एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं।

रामलीला के मंचन और अभिनय की बारीकियां प्रसून ने गांव के ही बुजुर्ग अनिल श्रीवास्तव से सीखी हैं। वे बताते हैं कि अनिल श्रीवास्तव न सिर्फ संवाद सिखाते हैं, बल्कि मंच पर उतरते समय आचरण और भावनाओं को जीवंत करने की कला भी सिखाते हैं। यही कारण है कि प्रसून अब खुद अपने गांव के छोटे बच्चों को अभिनय के लिए प्रेरित करते हैं और उन्हें रामायण के पात्रों के आदर्शों से जोड़ने का प्रयास करते हैं।

प्रसून का कहना है कि उनका पहला लक्ष्य सरकारी नौकरी पाना है, ताकि परिवार और समाज की सेवा कर सकें। लेकिन इसके साथ ही वे रामलीला के मंच को भी महत्व देते हैं। उनका मानना है कि इस मंच के जरिए मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के गुण और संस्कार आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाए जा सकते हैं। यही वजह है कि वे अपने गांव के बच्चों को अभिनय की ओर प्रेरित कर रहे हैं।

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