नई दिल्ली: क्रिकेट में कई बड़े दिनों को फैंस हमेशा याद रखते हैं जब क्रिकेट के इतिहास में कुछ खास हुआ हो. लेकिन क्रिकेट का कोई भी फैन 3 मार्च 2009 की तारीख को कभी नहीं भुलता. इस दिन को पूरी दुनिया के खेल इतिहास में काले दिन के तौर पर देखा जाता है. इस तारीख को श्रीलंका की टीम गद्दाफी स्टेडियम के रास्ते पर थी और उनकी बस पर आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. उस फायरिंग में किसी खिलाड़ी की जान तो नहीं गई लेकिन कई खिलाड़ी घायल हुए थे. इस बस में एक पाकिस्तान के अंपायर भी मौजूद थे जिन्हें इस हमले में गोलियां लगी थी, ये अंपायर एक बार फिर चर्चा में आ गए है लेकिन क्यों वो हम आपको बताएंगे.
आतंकी हमले घायल हुए ये अंपायर
साल 2009 में पाकिस्तान के लाहौर में जब श्रीलंकाई टीम पर आतंकी हमला हुआ था, इस हमले में पाकिस्तानी अंपायर अहसान रजा (Ahsan Raza) भी घायल हुए थे. अहसान रजा को दो गोलियां लगी थीं, जिसके बाद उनके शरीर में 86 टांके भी लगे थे. वही अहसान रजा 13 साल बाद लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में वापसी कर चुके हैं. रजा इस समय एक लाहौर के इस स्टेडियम में इंटरनेशनल मैच की अंपायरिंग कर रहे हैं.
पाकिस्तान बनाम ऑस्ट्रेलिया टेस्ट मैच
लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में साल 2009 के बाद पहली बार इंटरनेशनल टेस्ट मैच खेला जा रहा है. लाहौर में पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला जा रहा सीरीज का तीसरा और आखिरी टेस्ट मैच है. इस मैच में अहसान रजा अंपायरिंग कर रहे हैं. ये साल 2009 में हुए आतंकी हमले के बाद पहला मौका है जब अहसान रजा इस मैदान पर इंटरनेशनल मैच की अंपायरिंग कर रहे हैं. 47 साल के अहसान रजा पाकिस्तान के लाहौर के ही हैं और अब-तक 133 मैचों में अंपायरिंग कर चुके हैं.
चैनलों पर चली थी मौत की खबर
दरअसल, श्रीलंका की टीम पर जब हमला हुआ था तो हमले की खबर पूरी दुनिया में फैल चुकी थी. पाकिस्तान के कुछ चैनलों पर ये खबर चलने लगी कि इस हमले में अहसान रजा की मौत हो गई है. अहसान रजा बताते हैं कि उनके मोबाइल पर फोन की घंटी लगातार बज रही थी. वो ये भी समझ रहे थे कि ये फोन घर से ही आ रहा है लेकिन चोट इतनी गहरी थी कि वो फोन उठा नहीं सकते थे. खास बात यह भी है कि लाहौर में उस वक्त होने वाले मैच के रेफरी क्रिस ब्रॉड भी उनके साथ थे, जिन्होंने अहसान रजा के सीने पर हाथ रख उनकी जान बचाई थी.
दोनों टीम का पहली जीत का इंतजार
पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए पहले टेस्ट में रावलपिंडी क्रिकेट स्टेडियम की पिच पूरी तरह से बल्लेबाजों के लिए बनाई गई थी. ये मुकाबला ड्रॉ पर खत्म हुआ था. सीरीज का दूसरा मैच 12 मार्च से कराची के नेशनल स्टेडियम में खेला था, ये मैच भी ड्रॉ रहा था. अब टेस्ट सीरीज का आखिरी मैच लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में खेला जा रहा है.
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