हाइलाइट्सआदिवासी बाहुल्य क्षेत्र सोनभ्द्र में हो रही मोटे अनाज की खेती. सेहत के लिए भी फायदेमंद है मोटा अनाज.रंगेश सिंह 
सोनभद्र. उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में इन दिनों किसान मोटे अनाज की खेती कर रहे हैं. केन्द्र सरकार की ओर से मोटे अनाज की खेती के लिए सब्सिडी भी दी जा रही है. साथ ही किसानों को​ मुफ्त बीज भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं ताकि वे एक बार फिर पुराने दौर की ओर लौट सकें. दरअसल सोनभद्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, जहां पहले से ही मोटे अनाज की खेती हो रही है. ऐसे में केन्द्र सरकार के प्रयासों के बाद यहां किसान एक बार फिर इस दिशा में रुख कर रहे हैं.
केन्द्र सरकार की ओर से मोटे अनाज की फसल के लिए जो मदद की जा रही है, उससे किसान खासे खुश हैं. किसानों का कहना है कि मोटे अनाज की खेती से सभी को फायदा मिलेगा और यह सेहत के लिहाज से भी काफी लाभप्रद है.
750 हेक्टेयर में कोदो और सांवा की खेतीबता दें कि सरकार की ओर से मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए पोषण अभियान की शुरुआत की गई है. इसके तहत सोनभद्र जिले के पठारी क्षेत्रों में करीब 750 हेक्टेयर में कोदो और सांवा की खेती कराए जाने का लक्ष्य कृषि विभाग ने रखा है. इस तरह की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को रिसर्च बीज उपलब्ध करवाए जाएंगे. जिले के म्योरपुर, बभनी, दुद्धी, चोपन और कोन ब्लॉक मोटा अनाज की खेती करने के लिए जाना जाता है.
बाप दादा करते थे, अब एक बार फिर उत्साहदरअसल सोनभद्र में रबी व खरीफ की फसल के लिए किसानों को केवल प्रकृति पर निभर रहना पड़ता है क्योंकि सिंचाई के समुचित साधन नहीं हैं. ऐसे में जिले के पांचों ब्लॉक में बहुतायत में मोटा अनाज जैसे मक्का, सांवा कोदो, अरहर व उरद की खेती होती है. पोषण योजना के तहत सरकारी बीज भंडार से बीज खरीदने पर 75% अनुदान दिया जा रहा है. सरकार की ओर से 400 से अधिक हेक्टेयर पर सांवा और लगभग 350 हेक्टेयर में कोदो की खेती करने का लक्ष्य रखा गया है. किसानों के अनुसार, पहले मोटे अनाज की खेती बाप दादा किया करते थे. अब सरकार के सहयोग से मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा मिल रहा है, जिससे किसान उत्साहित हैं.
चावल से ज्यादा फायदेमंद सांवा-कोदोमोटे अनाज की खेती को लेकर सदर विधायक भूपेश चौबे ने आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र से विलुप्त हो चुकी सांवा और कोदो की खेती को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आग्रह किया था. मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रमेश कुमार ठाकुर का कहना है कि पहले लोग सांवा और कोदो को उपवास में खाया करते थे. इसका सेवन शुगर और गैस जैसी बीमारियों में बहुत कारगर है. इसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है जो चावल से ज्यादा बेहतर है. कृषि विभाग के अधिकारी डॉ. हरिकृष्ण के मुताबिक सामान्य चावल की तुलना में सांवा और कोदो में दोगुना प्रोटीन मिलता है. सांवा में 10 गुना व कोदो में नौ गुना फाइबर होता है. नियमित सेवन से शरीर को काफी पौष्टिक तत्व मिलते हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Sonbhadra News, Uttarpradesh newsFIRST PUBLISHED : July 16, 2022, 17:25 IST



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