Chronic Heart Failure: आजकल अचानक नींद में मौत की घटनाएं आम होती जा रही है. एकदम फिट दिखने वाला इंसान रात को सोता है और फिर कभी उठता ही नहीं. ऐसा क्यों होता है? इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. इनमें से एक कारण क्रॉनिक हार्ट फेलियर भी है जिसे लोग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं. यह दिल से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है जो धीरे-धीरे विकसित होती है. जब तक इस गंभीर बीमारी के लक्षण समझ आते हैं, तब-तक मामला हाथ से निकल गया होता है. आइए आज के इस रिपोर्ट में जानते हैं कि कैसे यह बीमारी शरीर को चुपचाप अपनी गिरफ्त में लेती है और कौन-कौन से इशारों को बिलकुल भी इग्नोर नहीं करना चाहिए.
दिल का काम शरीर में ऑक्सीजन और खून पहुंचाना होता है. लेकिन जब दिल कमजोर हो जाता है या कोई बीमारी हो जाती है तो उसकी पंप करने की ताकत कम हो जाती है और सही तरीके से नहीं कर पाता. जब दिल शरीर को जरूरत के हिसाब से खून नहीं पहुंचा पाता है तो इसी हालत को क्रॉनिक हार्ट फेलियर कहा जाता है.
ये लक्षण दिखें तो हो जाइए सावधानक्रॉनिक हार्ट फेलियर की शुरुआत में अक्सर कोई खास लक्षण नजर नहीं आते हैं. लेकिन जैसे-जैसे दिल की ताकत कम होने लगती है, शरीर इसके संकेत देने लगता है. मरीज को बहुत जल्दी थकान महसूस होने लगती है. पैरों, टखनों और पंजों में सूजन आने लगती है. रात में बार-बार पेशाब आने की समस्या बढ़ सकती है. जब स्थिति गंभीर हो जाती है तो सांस लेने में भी समस्या, सीने में दबाव या भारीपन, घरघराहट और दिल की धड़कनें भी अनियमित हो सकती हैं. ऐसे लक्षण दिखें तो बिलकुल भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए. तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
क्या ये बीमारी पुरुषों में ज्यादा होती है?अक्सर लोग मानते हैं कि ये बीमारी सिर्फ पुरुषों को ज्यादा होती है, लेकिन यह पूरी तरह से सच नहीं है. हार्ट हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार 45 साल से कम उम्र में पुरुषों में इसका खतरा महिलाओं से ज्यादा होता है, लेकिन 45 की उम्र पार करते ही दोनों का खतरा लगभग-लगभग बराबर हो जाता है. यानी बढ़ती उम्र में महिलाएं भी उतने ही खतरे में होती हैं जितने पुरुष.
इस बीमारी के होते हैं 4 स्टेज
क्रॉनिक हार्ट फेलियर को चार स्टेज में बांटा गया है, आइए जानते हैं
Type 1 इस बीमारी की शुरुआत होती है, जिसे दवाइयों और जरूरी सावधानियों से कंट्रोल किया जा सकता है.
टाइप 2 और 3 में हालत थोड़ी बिगड़ जाती है. इस मामले में दवाओं के साथ सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है.
Type 4 इस बीमारी की सबसे गंभीर स्टेज होती है, इसमें दिल की ताकत 85-90% तक लगभग समाप्त हो चुकी होती है. ऐसे में हार्ट ट्रांसप्लांट ही आखिरी रास्ता बचता है.
इस बीमारी से पीड़ित मरीज का दिल अगर 50% तक कमजोर हो चुका है तो सही समय पर इलाज से सामान्य जीवन जिया जा सकता है, लेकिन 65% से ज्यादा नुकसान होने पर समस्या ज्यादा बढ़ सकती है.
बचने के लिए क्या करेंक्रॉनिक हार्ट फेलियर से बचने के लिए लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव करने चाहिए. सबसे पहले ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखें, क्योंकि बीपी बढ़ने के कारण हार्ट को ब्लड पंप करने के लिए ज्यादा मेहनत लगती है. दिनभर में दो लीटर से ज्यादा तरल पदार्थ का सेवन न करें, क्योंकि यह ब्लड वॉल्यूम को बढ़ाता है और हार्ट पर दवाब डालता है. नमक का भी सेवन ज्यादा न करें, हेल्दी डाइट लें और धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएं. इसके साथ ही साथ समय-समय पर हेल्थ चेकअप भी कराते रहें.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी इसे अपनाने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.