Uttar Pradesh

सितंबर में लगाएं यह पत्तेदार सब्ज़ी, 30 दिन में तैयार होगी पहली कटाई, जानें पूरा तरीका।

सितंबर में करें पालक की उन्नत खेती, 30-35 दिन में होगी पहली कटाई, जानिए तरीका

सितंबर का महीना पत्तेदार सब्जियों, खासकर पालक की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है. पालक की खेती छोटे समय और कम लागत में ज्यादा लाभ देने वाला विकल्प है. किसान पारंपरिक फसलों के साथ-साथ पालक उगा कर कई बार कटाई कर सकते हैं और अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं.

पालक की अच्छी पैदावार के लिए जल निकासी वाली मिट्टी वाले खेत का चुनाव करना चाहिए. खेत की गहरी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बनाएं और पाटा चलाएं. छोटी-छोटी क्यारियां बनाएं ताकि बारिश का पानी जमा न हो. आखिरी जुताई के समय सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाने से रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम होता है और पालक की पैदावार बेहतर होती है. हमेशा अच्छी किस्म और प्रमाणित बीज ही खरीदें. एक हेक्टेयर खेत के लिए 10 से 12 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है. कुछ पालक की किस्में 30 से 35 दिनों में पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं. सही किस्म का चुनाव करने से बंपर पैदावार मिलती है और किसान फसल को कई बार काट सकते हैं.

पालक एक ऐसी फसल है जो जल्दी तैयार हो जाती है. बुवाई के 30-35 दिन के भीतर ही पहली कटाई संभव है. यह कम समय में किसानों को अच्छी आय का स्रोत देती है. सही देखभाल और समय पर सिंचाई से फसल की गुणवत्ता भी बनी रहती है. पालक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि एक बार बुवाई करने के बाद इसकी कई बार कटाई की जा सकती है. हर कटाई के कुछ ही दिनों बाद नई पत्तियां उग आती हैं, जिससे किसानों को लगातार आय होती रहती है. यही इसे किसानों के लिए बेहद लाभकारी विकल्प बनाता है. पालक की खेती में लागत बहुत कम आती है. उन्नत बीज और जैविक खाद का उपयोग करने से रासायनिक खर्च घट जाता है. चूंकि पालक बाजार में हमेशा मांग में रहती है, इसे बेचने में भी आसानी होती है. इस तरह कम लागत में किसान अच्छी खासी आय और मुनाफा कमा सकते हैं.

पालक की खेती में गोबर की खाद का उपयोग करके किसान जैविक खेती भी कर सकते हैं. इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और फसल स्वस्थ रहती है. जैविक तरीके से उगाई गई पालक न केवल सेहत के लिए बेहतर होती है, बल्कि बाजार में इसकी मांग और कीमत भी अधिक होती है.

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