Uttar Pradesh

सितंबर में जून जैसी तपिश! धूप-उमस से धान की फसल पर संकट, बारिश पर टिकीं किसानों की निगाहें

सितंबर के मौसम में जून जैसी तपिश और उमस से किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस कारण धान की फसलें सूखने लगी हैं और उत्पादन पर संकट गहराता दिख रहा है। लगातार बढ़ती गर्मी और नमी की कमी से खेतों की हालत बिगड़ रही है। ऐसे में किसान अब बारिश की बूंदों का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

गोरखपुर जिले के कई क्षेत्रों के किसान इन दिनों धान की फसल को लेकर बेहद चिंतित हैं। इस बार मानसून की शुरुआत से ही बारिश का दौर कमजोर रहा है, जिसका सीधा असर खेतों में खड़ी फसलों पर दिखाई दे रहा है। शुरुआती दौर में पर्याप्त वर्षा न होने से धान की पौधें कमजोर हो गईं और फसल में कई तरह के रोग लग गए। किसानों का कहना है कि इससे विकास प्रभावित हुआ है और उपज पर बड़ा संकट मंडरा रहा है।

गौरतलब है कि गोरखपुर से मानसून इन दिनों रूठा हुआ है और सितंबर के अंतिम दिनों में जून जैसी गर्मी पड़ रही है। हालांकि किसानों ने तरह-तरह से सिंचाई की व्यवस्था की, लेकिन लगातार मौसम का साथ न मिलने से अपेक्षित लाभ नहीं मिल सका। उनका कहना है कि धान की फसल अब अपने अंतिम चरण में है और इस समय यदि बारिश नहीं हुई, तो सिंचाई करने से भी कोई खास फायदा नहीं होगा।

धान की अगेती फसलें पकने के करीब पहुंच चुकी हैं, लेकिन ‘संभा’, ‘संभा मंसूरी’, ‘बावनी मंसूरी’, सरजू 52 और ‘मंसूरी’ जैसी अन्य किस्मों को अभी भी अत्यधिक पानी की जरूरत है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आने वाले दिनों में मौसम की स्थिति में सुधार नहीं हुआ और पर्याप्त वर्षा नहीं हुई, तो इन किस्मों की पैदावार बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। इससे किसान बड़े पैमाने पर नुकसान झेल सकते हैं।

गर्मी और उमस ने बिगाड़ा खेल, किसानों की हालत यह है कि अब वे पूरी तरह बारिश पर निर्भर हैं। कई किसानों का कहना है कि उन्होंने अपने खेतों में बार-बार सिंचाई की, लेकिन नमी की कमी और उमस भरे मौसम ने धान की बढ़वार रोक दी। रोग लगने से भी फसल की हालत खराब हो रही है। ऐसे में यदि अगले कुछ दिनों में वर्षा नहीं हुई, तो स्थिति और अधिक गंभीर हो सकती है।

बारिश पर टिकीं किसानों की निगाहें, हालांकि मौसम विभाग ने अक्टूबर में अच्छी बारिश की संभावना जताई है, जिससे किसानों को थोड़ी राहत मिली है। लेकिन क्षेत्र के अधिकांश किसान अब भी आशंकित हैं और कहते हैं कि उम्मीद कम ही नजर आ रही है। वहीं कृषि अधिकारियों का यह भी कहना है कि यह फसल का आखिरी सीजन चल रहा है, ऐसे में एक दो बार पानी मिल जाने पर यह अच्छी पैदावार हो सकती है। वहीं कई किसान तो लगातार सिंचाई भी कर रहे हैं।

You Missed

Scroll to Top