रामपुर के मोहम्मद उमर 6 बीघा में हाईब्रिड खीरे की खेती कर रहे हैं और मालामाल बन गए हैं। उनकी इस खेती से हर सीजन में 70 क्विंटल की पैदावार हो रही है, जिसे वे दिल्ली तक बेचते हैं। उमर जैविक तरीके से खेती कर रहे हैं, जिससे मुनाफा अधिक मिल रहा है।
मोहम्मद उमर करीब 6 बीघा जमीन में हाईब्रिड खीरे की खेती करते हैं। उन्होंने बताया कि एक बीज का पैकेट करीब 10 ग्राम का आता है और उन्होंने इस बार 55 पैकेट बीज बोए हैं। एक बीघा में औसतन 5 से 12 क्विंटल तक उत्पादन हो जाता है। हर सीजन में वे करीब 70 से 72 क्विंटल खीरे की फसल निकाल लेते हैं।
खीरे की यह हाईब्रिड किस्म न सिर्फ रामपुर के बाजार में बल्कि दिल्ली तक में इसकी भारी मांग रहती है। उमर बताते हैं कि इस खीरे की बुवाई फरवरी के आखिर या मार्च के पहले हफ्ते में कर देनी चाहिए। इससे गर्मी की शुरुआत तक पौधे अच्छे से विकसित हो जाते हैं और अप्रैल-मई तक फसल तैयार हो जाती है। बरसात के बाद जुलाई-अगस्त में भी दूसरी बुवाई की जा सकती है।
खेती शुरू करने से पहले खेत को अच्छी तरह तैयार करना जरूरी होता है। उमर अपने खेत की मिट्टी को नरम बनाने के लिए पहले दो बार जुताई करते हैं। फिर उसमें गोबर की सड़ी खाद या जैविक खाद डालते हैं। बीज को सीधे खेत में बोने से पहले हल्की नमी बनाए रखना जरूरी होता है।
किसान के मुताबिक खीरे की फसल को नियमित पानी चाहिए होता है, लेकिन जलभराव नहीं होना चाहिए। उमर हर तीन दिन में सिंचाई करते हैं। फसल को कीटों से बचाने के लिए वे जैविक कीटनाशक का प्रयोग करते हैं। खीरे की फसल का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह कम समय में तैयार हो जाती है। उमर के मुताबिक बुवाई के 45 से 50 दिन के अंदर ही तुड़ाई शुरू हो जाती है। हर सीजन में 70 क्विंटल के आसपास फसल निकल आती है, जिसे वे दिल्ली, मुरादाबाद और बरेली के बाजारों में भेजते हैं।
दाम अच्छे मिले तो यह खेती हर बीघे में हजारों का मुनाफा दे देती है। उमर की इस खेती का जीता-जागता उदाहरण है कि अगर मेहनत और सोच सही दिशा में हो तो खेती भी सोना उगल सकती है।

