उत्तर प्रदेश में 28 अक्टूबर से मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया शुरू होने जा रही है. नई मतदाता सूची 7 फरवरी 2026 तक जारी होगी. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ‘SIR PDA प्रहरी’ अभियान की शुरुआत की, ताकि हर मतदाता को उसके वोट का अधिकार मिल सके. चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया के तहत पुरानी सूचियों को फ्रीज करने की घोषणा भी कर दी है.
लखनऊ: मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) चुनाव आयोग ने सोमवार 27 अक्टूबर को घोषणा कर दी है. कल से यानी 28 अक्टूबर से यूपी में एसआईआर की प्रक्रिया शुरू होगी और नई मतदाता सूची 7 फरवरी 2026 तक जारी कर दी जाएगी. एसआईआर प्रक्रिया की घोषणा के साथ ही समाजवादी पार्टी भी एक्टिव हो गई है. पार्टी के पीडीए प्रहरी एसआईआर के तहत होने वाले हर फेरबदल की निगरानी करेंगे. इसके लिए बूथ स्तर पर SIR PDA प्रहरी की नियुक्तियां शुरू हो गई है.
सपा मुखिया और पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने सोमवार को प्रयागराज और कौशांबी में ‘SIR PDA प्रहरी’ की बैठक ली. इतना ही नहीं, अखिलेश ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर ‘SIR PDA प्रहरी’ झंडा जारी किया. साथ ही, अखिलेश यादव ने लिखा, ‘सबको उसके वोट का अधिकार दिलवाना है, हर वोट का प्रहरी बनकर लोकतंत्र बचाना है.’ बता दें, सपा पिछले काफी वक्त से मतदाता सूचियों से मतदाताओं के नाम काटने को लेकर भारत निर्वाचन आयोग पर सवाल उठा रही है. बिहार में हुए एसआईआर को लेकर भी पार्टी ने विरोध जताया था. वहीं, अब उत्तर प्रदेश में एसआईआर प्रक्रिया शुरू होने पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय रहने के निर्देश दिए गए है.
बता दें, चुनाव आयोग ने कहा कि दूसरे चरण में यूपी समेत 12 राज्यों में विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया को लागू किया जाएगा. जिसके तहत पुरानी मतदाता सूची आज यानी 27 अक्टूबर की आधी रात से ही फ्रीज हो जाएगी. इस संबंध में चुनाव आयोग ने आज आधिकारिक घोषणा भी कर दी है.
एसआईआर के दूसरे चरण के पूरे होने के बाद नई मतदाता सूची 7 फरवरी 2026 को जारी कर दी जाएगी. चुनाव आयोग एसआईआर लागू करने की रूपरेखा तय करने के लिए राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) के साथ पहले ही दो बैठकें कर चुका है. कई सीईओ ने अपनी पिछली एसआईआर के बाद की मतदाता सूचियां अपनी वेबसाइटों पर डाल दी हैं. जिसके बाद SIR को लेकर नेताओं की तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं.
क्या है SIR प्रक्रिया? विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) एक विशेष अभियान है, जिसमें मतदाता सूची में सुधार किया जाता है, नए मतदाताओं का पंजीकरण होता है और मृतक या अयोग्य मतदाताओं के नाम हटाए जाते हैं. जिसके बाद एक नए सिरे से मतदाता सूचियां तैयार की जाती है. यह प्रक्रिया चुनावों की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम है.

