Uttar Pradesh

‘सिंघम’ से कम नहीं थे यूपी के ये पुलिस अफसर, थर–थर कांपते थे अपराधी, कई बदमाशों को खिलाई जेल की हवा

Police Officer Inspiring Story: उत्तर प्रदेश पुलिस के एक अफसर की तारीफ हर कोई करता है. नाम है योगेंद्र नाथ सिंह. इन्हें लोग टाइगर जोगिन्दर सिंह के नाम से भी जानते हैं. वो आजमगढ़ के लालगंज तहसील के लहुआं कलां गांव से थे. आजादी के बाद पुलिस की पहली खेप में भर्ती होकर उन्होंने 36 वर्षों तक ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल कायम की थी. 1948 में उप-निरीक्षक के रूप में पुलिस सेवा में प्रवेश किया. प्रशिक्षण के बाद केवल 3 महीने में उन्हें थानाध्यक्ष बनाया गया.

कुख्यात डाकू को पकड़ कमाया नाम 6 फुट 2 इंच कद के टाइगर के सामने आने वाले अपराधी के होश उड़ जाते थे. उन्होंने मिर्जापुर, देवरिया, गोरखपुर, हरदोई और लखनऊ के हजरतगंज सहित प्रमुख थानों में तैनात रहकर ईमानदारी से अपने कार्यों को अंजाम दिया. 1962-63 में जौनपुर जनपद के शाहगंज में तैनाती के दौरान उन्होंने बुझारत नाम के कुख्यात डाकू को जिंदा पकड़ा था.

पूरे शहर में हो गए थे फेमसबुझारत उनके गृह जनपद आजमगढ़ का निवासी था. इसलिए उन्हें इन्हें विशेष तौर पर उसे पकड़ने का जिम्मा दिया गया था. उन्होंने काम को बखूबी निभाया. आजकल लोग फिल्मी हीरो तथा हीरोइन के नाम पर अपने बच्चों का नाम रखते हैं. परन्तु जिस समय उन्होंने बुझारत डाकू को पकड़ा था, उस समय पैदा हुए बहुत से बच्चों का नाम लोगों ने जोगिन्दर सिंह रखा.

इस बड़े नेता के पुत्र को खिलाई जेल की हवा लोकल 18 से बात करते हुए टाइगर जोगिंदर सिंह के पुत्र देवेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि 1977-80 में हजरतगंज कोतवाल के रूप में तैनात थे. उस दौरान प्रदेश के सर्वोच्च पद पर असीन नेता के पुत्र को पुलिस के साथ बदसलूकी करने के करण जेल में डाल दिया. 1973 से 75 के बीच गोरखपुर तैनाती के समय इन्होंने उस समय के नामी गुंडों तथा बदमाशों को गोरखपुर जिले से बाहर भगा दिया. उसी समय प्रदेश के राज्यपाल ने रु 500/- का पुरस्कार दिया था, जो उस समय की बड़ी धनराशि थी.

किराए के मकान पर करते हैं गुजारा 36 वर्ष की सेवा में लगभग 32 वर्षों तक 22 थानों के थानाध्यक्ष और थाना प्रभारी निरीक्षक रहे. टाइगर जोगिन्दर सिंह ने ईमानदारी की जो मिसाल कायम की उसका अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि 1948 में पुलिस सेवा में आने के बाद से 1983 में सेवा निवृत्ति के बीच इनके या इनके बच्चों के नाम से कोई बैंक खाता नहीं खुला.  ना ही कोई जमीन जायदाद खरीदी गयी. 1969 में मुअत्तली के बाद प्राप्त एरियर से उन्होंने एक बुलेट मोटर साइकिल खरीदी, जो आज भी उनकी याद के रूप में विद्यमान है.

9 नवंबर 1999 में 75 वर्ष की आयु में वाराणसी के चेतगंज स्थित किराये के मकान में उनका निधन हुआ.
Tags: Azamgarh news, Local18FIRST PUBLISHED : November 11, 2024, 13:06 IST

Source link

You Missed

Uniform civil code can be model for other states, live-in rule to boost women’s security: Uttarakhand CM Dhami
Top StoriesDec 8, 2025

एक समान नागरिक संहिता अन्य राज्यों के लिए मॉडल हो सकती है, साथनिवास नियम महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने में मदद करेगा: उत्तराखंड सीएम धामी

उत्तराखंड: 2022 में राज्य के निर्माण के बाद पहली पार्टी बनने के बाद दोहरी मандत जीतने के बाद…

‘Democracy and Pakistan don’t go together,’ says MEA as it flags concerns over protests, border clashes
Top StoriesDec 8, 2025

लोकतंत्र और पाकिस्तान एक साथ नहीं चल सकते हैं: विदेश मंत्रालय ने प्रदर्शनों और सीमा संघर्षों के बारे में चिंताएं व्यक्त की

पाकिस्तान में इमरान खान की गिरफ्तारी से जुड़े विरोध प्रदर्शन जारी हैं। रिपोर्टें बताती हैं कि रावलपिंडी के…

SC stays Allahabad HC order in POCSO case; to frame guidelines for sensitive handling of sexual offence trials

Scroll to Top