Uttar Pradesh

सिंघाड़े की ये 7 उन्नत किस्में किसानों को बना देगा करोड़पति, ऐक्सपर्ट से दाने कैसे करें खेती

Last Updated:August 19, 2025, 18:33 ISTसिंघाड़े की खेती करने वाले किसान उन्नत किस्म का ही चयन करें जिनमें प्रमुख रूप से लाल गठुआ,लाल चिकनी गुलरी, हरीरा गठुआ, कटीला, शारदा,भगवती ,गोदावरी आदि हैं. यह प्रजातियां अपनी उच्च पैदावार के लिए जानी जाती हैं.हमारा भारत देश एक कृषि प्रधान देश है. यहां की 80% आबादी खेती किसानी पर ही निर्भर करती है. यहां के लोग मौसम, जलवायु के अनुसार विभिन्न फसलों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाते हैं. जिनमें कुछ किसान परंपरागत फसलों धान ,गेहूं के अलावा बागवानी एवं उद्यानिक खेती भी कर रहे हैं. परंतु कुछ किसान ऐसे भी हैं, जो तालाब बनाकर सिंघाड़े की खेती भी करते हैं.जिसे अंग्रेजी में “वाटर चेस्ट नट कहा जाता है. यह एक ऐसी फसल है जो पानी में ही उगाई जाती है.इसकी खेती करके किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

रायबरेली के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के सहायक विकास अधिकारी कृषि दिलीप कुमार सोनी (बीएससी एजी) ने लोकल 18 से कहा कि मानसून की बरसात शुरू होने के साथ ही सिंघाड़े की खेती करने वाले किसान इस फसल की बुवाई की तैयारी शुरू कर देते हैं. यानी की जून से लेकर अगस्त तक इस फसल की रोपाई की जाती है.सिंघाड़े की खेती एक खेती है जो 6 माह में तैयार होकर अच्छा मुनाफा देती है.

ऐसे करें बुवाई
दिलीप कुमार सोनी बताते हैं कि सिंघाड़े की फसल रोपाई से पहले बीज को पानी में भिगोकर अंकुरित कर लें.जब उसमें अंकुरण हो जाए. इसके लिए वह दो-तीन पौधों को एक साथ लेकर अच्छी तरह से रोपाई करें. पौधे की रोपाई करते समय ध्यान दें कि पौधे से पौधे के बीच की दूरी 1 से 2 फीट तक होनी चाहिए. जिससे पौधे का विकास अच्छा होने के साथ ही पैदावार भी अच्छी होगी. सिंघाड़े की फसल को रोग एवं कीट से बचाव के लिए कृषि विशेषज्ञ की सलाह पर उचित कीटनाशक का प्रयोग करें. जिससे फसल रोग एवं कीट मुक्त रहे. रोपाई के लगभग एक माह बाद प्रति हेक्टेयर की दर से 30 से 40 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव करें. इसकी खेती के लिए किसान 6.5 से 7.5 पीएच मान वाली मिट्टी का चयन करें.

यह है उन्नत किस्मसिंघाड़े की खेती करने वाले किसान उन्नत किस्म का ही चयन करें जिनमें प्रमुख रूप से लाल गठुआ,लाल चिकनी गुलरी, हरीरा गठुआ, कटीला, शारदा,भगवती ,गोदावरी आदि हैं. यह प्रजातियां अपनी उच्च पैदावार के लिए जानी जाती हैं.

6 माह में हो जाती है तैयारदिलीप कुमार सोनी बताते हैं कि सिंघाड़े की फसल रोपाई के 6 माह बाद तैयार हो जाती है इसके भंडारण के लिए किसान ऐसी जगह का चयन करें जहां पर सिंघाड़े के फल को रखने पर वह सूखने न पाए ऐसा करने से कि फल की ताजगी बनी रहेगी.Location :Rae Bareli,Uttar PradeshFirst Published :August 19, 2025, 18:33 ISThomeagricultureसिंघाड़े की ये 7 उन्नत किस्में किसानों को बना देगा करोड़पति, ऐसें करें खेती

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