Turmeric milk side effects: हम जब भी बीमारी पड़ते हैं या चोट लगती है तो हमारी मां हमें हल्दी वाला दूध पीने को देती हैं. हल्दी वाला दूध एक पारंपरिक भारतीय ड्रिंक है, जिसे कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है. हल्दी में करक्यूमिन (curcumin) पाया जाता है. यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने या कम करने में मदद कर सकता है. वहीं, दूध एक अच्छा प्रोटीन और कैल्शियम का सोर्स है. पानी ड्रिंक को पतला करने और इसे अधिक पाचन योग्य बनाने में मदद करता है. हालांकि, कुछ लोगों के लिए हल्दी वाला दूध नुकसानदायक हो सकता है. आइए जानते हैं किन-किन लोगों को हल्दी वाला दूध नहीं पीना चाहिए.
जिन्हें गर्म चीजों से होता है नुकसानहल्दी वाला दूध आपके शरीर की गर्मी बढ़ा सकता है. इसका कारण यह है कि हल्दी में करक्यूमिन नामक एक कंपाउंड होता है, जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है. करक्यूमिन गर्म होता है और यह पेट के अस्तर को नुकसान पहुंचा सकता है. इससे मुंह में छाले, शरीर पर दाने और अन्य त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए, अगर आपको गर्म चीजों से नुकसान होता है, तो आपको हल्दी वाला दूध पीने से बचना चाहिए.
जो खून को पतला करने वाली दवाएं लेता होहल्दी खून के थक्के बनने में बाधा डाल सकती है. यदि आप खून पतला करने वाली दवाएं ले रहे हैं, तो हल्दी वाला दूध पीने से बचना चाहिए. इसके अलावा, यदि आपको हल्दी या दूध से एलर्जी है, तो हल्दी वाला दूध पीने से बचना चाहिए.
जिन्हें लिवर और पेट की समस्या हैहल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन गर्म होता है और यह शरीर के पीएच को भी प्रभावित कर सकता है. जिन लोगों को लिवर और पेट की समस्या है, वो हल्दी वाला दूध पीते हैं, तो आपके पेट में सूजन, एसिड रिफ्लक्स और दस्त जैसी पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. इसके अलावा, अगर आपको लिवर की समस्या है, तो आपको हल्दी वाला दूध पीने से बचना चाहिए. ऐसा इसलिए है क्योंकि हल्दी लिवर के काम को प्रभावित कर सकती है, जिससे आपको कई समस्याएं हो सकती हैं.
जिनका गॉलब्लैडर न होगॉलब्लैडर शरीर के अंदर एक छोटी सी थैली होती है जो पित्त को संग्रहित करती है और पाचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. पित्त एक तरल पदार्थ है, जो फैट को तोड़ने में मदद करता है. जब गॉलब्लेडर न हो तो पित्त सीधे छोटी आंत में जाता है. हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन पित्त के फ्लो को बढ़ा सकता है. गॉलब्लेडर की अनुपस्थिति में, यह पित्त को नियंत्रित करने में मुश्किल हो सकती है. यह मतली, उल्टी और दस्त जैसी पाचन समस्याओं का कारण बन सकता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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