अमित सिंह, प्रयागराज. कहते हैं कि भगवान शनिदेव की दृष्टि किसी के ऊपर न ही पड़े तो ही अच्छा है. क्योंकि ऐसे तभी होता है जब आपके बुरे कर्मों का प्रभाव अधिक हो जाता है. इसी क्रम में साढ़े साती के प्रकोप का भी उल्लेख है. हर व्यक्ति शनि के साढ़ेसाती से बचना चाहता है. ऐसे में प्रयागराज जिले के फूलपुर, तारडीह गांव मे स्थित शनि महाराज का एक विशेष मंदिर है. जहां कई जनपदों के साथ कई प्रदेश के भक्त हर शनिवार यहां दर्शन के लिए आते हैं.इस मंदिर की मान्यता है कि यहां दर्शन करने से शनि की साढ़ेसाती का प्रकोप दूर होता है. खास बात यह है कि हर वर्ष शनि जयंती की अवसर पर विशाल भंडारे का आयोजन होता है. प्रसाद प्राप्ति के लिए देश के कोने कोने से भक्त आते हैं. मंदिर के पुजारी राकेश तिवारी ने बताया कि शनि की साढ़ेसाती का मतलब है साढ़े सात साल की अवधि. जब शनि जन्म कुंडली में स्थित चंद्रमा से चतुर्थ भाव, अष्टम भाव में भ्रमण करते हैं तो उसे शनि की छोटी साढ़ेसाती कहते हैं.जीवन में कष्ट भोग के कई चरणइसके अलावा शनि ग्रह किसी की कुंडली में पहले, दूसरे 12वें और जन्म के चंद्र के ऊपर से गुजरे तब भी शनि की साढ़ेसाती होती है. इस दौरान व्यक्तियों को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ता है. उनके जीवन में कष्ट भोग के कई चरण होते हैं. इसके प्रभाव को कम करने के लिए मंत्र और शनि दर्शन बहुत ही प्रभावशाली होते हैं. शनि भगवान के पूजन अर्चन से साढ़ेसाती का प्रकोप कम किया जा सकता है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : April 28, 2023, 13:29 IST
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