उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में एक हजार साल पुराना शिव मंदिर आस्था का जीवंत प्रतीक है. यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है. सुल्तानपुर जिले के शिवगढ़ ग्राम सभा में स्थित इस प्राचीन शिवालय का इतिहास, स्थापत्य कला और परंपरा आज भी लोगों की श्रद्धा का केंद्र है.
भारत में सदियों से ईश्वर और प्रकृति की पूजा का परंपरागत संबंध रहा है. आस्था, अध्यात्म और विश्वास भारतीय संस्कृति की पहचान हैं, जिनकी झलक देशभर के मंदिरों में देखने को मिलती है. ऐसा ही एक ऐतिहासिक और श्रद्धा से जुड़ा मंदिर उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में मौजूद है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मन्नत जरूर पूरी होती है.
सुल्तानपुर मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर शिवगढ़ ग्राम सभा में स्थित यह शिवालय न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी बेहद खास है. कहा जाता है कि इस शिवालय का निर्माण करीब एक हजार साल पहले शिवगढ़ के राजा ने करवाया था. राजा ने की थी भूमि दानू पुर के गोस्वामी परिवार को यह भूमि दान में दी गई थी, जिस पर बाद में दानूपुर गांव बसाया गया.
शिवालय की देखरेख दानूपुर के गोस्वामी परिवार द्वारा पीढ़ियों से की जा रही है. वर्तमान में मंदिर के पुजारी अशोक कुमार गोस्वामी बताते हैं कि वे इस मंदिर के छठवीं पीढ़ी के पुजारी हैं. उनके पूर्वजों ने यहां पूजा-अर्चना की सेवा की थी, जिससे प्रसन्न होकर शिवगढ़ के राजा ने उन्हें 25 बीघा भूमि दान में दी थी.
मंदिर की ऊंचाई लगभग 35 से 40 फीट है और इसे नागर शैली में बनाया गया है, जो इसकी ऐतिहासिकता और कलात्मकता दोनों को दर्शाती है. यह शिवालय आज भी आस्था का जीवंत प्रतीक है और लोगों की श्रद्धा का केंद्र है.

