Shatavari: आज के दौर में जहां पीसीओएस, इर्रेगुलर पीरियड्स, हार्मोनल इम्बैलेंस और फीमेल इनफर्टिलिटी जैसी परेशानियां कॉमन होती जा रही हैं, ऐसे में शतावरी महिलाओं के लिए किसी कुदरती तोहफे से कम नहीं. संस्कृत में इसका मतलब है “सौ पतियों वाली”, जो रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर अपने असर को बयां करता है. शतावरी, आयुर्वेद में महिलाओं की “रानी औषधि” कही जाती है.
शतावरी के फायदेइसके चमत्कारी गुण न सिर्फ हार्मोन संतुलन को बढ़ाते हैं बल्कि शरीर को समग्र रूप से पोषण भी देते हैं. ये देखने में झाड़ीदार पौधा होता है और खास तौर से इसकी जड़ का इस्तेमाल किया जाता है. सुश्रुत संहिता के अनुसार, यह एक रसायन औषधि मानी जाती है और इसका यूज अलग-अलग फॉर्म में किया जाता है. ज्यादातर इसका यूज ब्रेस्टफीडिंग को बढ़ावा देने, प्रेग्नेंसी को हेल्दी रखने और मेनोपॉज के लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है.
सब्जी की तरह खाएंचरक संहिता में, शतावरी के कुछ हिस्सों को सब्जी की तरह खाने के बारे में बताया गया है. एनआईएच की रिपोर्ट के अनुसार, शतावरी रेसमोसस लिलिएसी परिवार से जुड़ा है और आम तौर पर सतावर, सतमुली, सतावरी के नाम से जाना जाता है जो पूरे भारत में कम ऊंचाई पर पाया जाता है. पौधे की सूखी जड़ों का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है.
डाइजेशन के लिए अच्छाशतावरी को पाचन में सुधार, अल्सर के इलाज, और इम्यूनिटी को बढ़ावा देने के लिए भी फायदेमंद माना जाता है. मॉडर्न रिसर्च शतावरी को फीमेल रिप्रोडक्टिव हेल्थ, हार्मोन बैलेंस और मेंस्ट्रुअल साइकिल को कंट्रोल करने में काम करता है. आयुर्वेद के मुताबिक, शतावरी में एडाप्टोजेनिक गुण होते हैं, जो शरीर के तनाव को अनुकूल बनाने में मदद करते हैं और इसका सेवन करने से मोनोपॉज के दौरान होने वाले हार्मोनल असंतुलन को संतुलित करने में मदद मिलती है.
काढ़ा बनाकर पिएंशतावरी के बने काढ़े के इस्तेमाल से तनाव दूर होता है और अनिद्रा की समस्या भी खत्म होती है. आयुर्वेद में शतावरी एनीमिया को भी ठीक करने में फायदेमंद होता है. शतावरी का आयुर्वेद में वर्णन मिलता है. शतावरी में फाइबर, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन के, विटामिन ई और विटामिन-सी, आयरन, कैल्शियम, मैंगनीज और सेलेनियम, जिंक, एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं.
इन बीमारियों में भी असरदारशतावरी का सेवन सर्दी-जुकाम, बवासीर, बुखार के इलाज में वरदान है. शतावरी की जड़ से बने काढ़े के सेवन से फायदा मिलता है. महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान होने वाली समस्याओं में भी इसके सेवन से लाभ मिलता है. पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द, पेट के तनाव और ऐंठन में भी इससे राहत मिलती है. शतावरी पाचन तंत्र को मजबूत करता है, जिससे कब्ज, वात, जलन जैसी समस्याएं खत्म हो जाती हैं. फिर भी सेवन से पहले चिकित्सीय परामर्श की सलाह दी जाती है.
(इनपुट-आईएएनएस)
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.