उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में आतंकी साजिश का खुलासा: जैश-ए-मोहम्मद और अलकायदा के लिए काम करने वाले डॉक्टर आदिल, डॉ. मुजाहिल शकील उर्फ मुजम्मिल और उनके साथियों की धरपकड़ के बाद खुफिया एजेंसियों, एनआईए और यूपी एटीएस टीम ने पूछताछ की. इस संगठन के साथ मिलकर काम करने वाले बाकी लोगों के संबंध में इनपुट जुटाया गया है. पूछताछ में बड़ा चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि गिरफ्तार किए गए डॉक्टरों को अपने साथियों के साथ मिलकर सहारनपुर में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और अलकायदा के लिए मिनी रिक्रूट-कमांड सेंटर तैयार करना था. यही वजह थी कि डॉक्टर आदिल ने अनंतनाग का हॉस्पिटल छोड़कर सहारनपुर में अपना नया ठिकाना बनाया था. इन्हें यहां रहकर बड़ी वारदातों को प्लान करने और हथियार जुटाने के लिए मुफीद जगह तलाश करना मकसद था.
इन्हें यहां पढ़ने वाले युवाओं को बरगलाने और आतंकी संगठन से जोड़ने की भी साजिश रची जा रही थी. सहारनपुर में दीनी तालीम हासिल करने के लिए बड़ी संख्या में छात्र आते हैं, इसलिए यहां इन छात्रों को प्रभाव में लेने, ब्रेनवॉश करने और संगठन से जोड़ने के लिए ऐसी जगह चाहिए थी, जहां छात्रों के साथ बैठक हो सके और किसी को शक भी न हो. यही कारण है कि डॉ. आदिल एक साल पहले अनंतनाग के जीएससी अस्पताल को छोड़कर सहारनपुर आ गया था. यहां काफी लोगों से डॉ. अदील ने संपर्क साधा. उसके मोबाइल की फोरेंसिक जांच कराई जा रही है. उसके मोबाइल से मिली जानकारी के आधार पर एजेंसियां काम कर रही हैं. साथ ही आदिल के तीन करीबियों से भी पूछताछ की जा रही है.
आखिर कैसे हुआ था गिरफ्तार? दरअसल, जम्मू-कश्मीर पुलिस की जांच की शुरुआत अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में शुरू हुई. कहानी श्रीनगर के बाहरी इलाकों में लगे जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर्स से शुरू होती है. 18 अक्टूबर को श्रीनगर के नौगाम इलाके में जैश-ए-मोहम्मद के धमकी भरे पोस्टर्स चिपके मिले थे. उन पोस्टर्स में सुरक्षाबलों को निशाना बनाने की धमकी दी गई थी. इस मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने केस दर्ज किया और तफ्तीश शुरू की. तफ्तीश के दौरान कई ओवर ग्राउंड वर्कर्स को अरेस्ट किया गया. इसमें विदेशी हैंडलर्स की संलिप्तता सामने आई. जांच के दौरान यह बात सामने आई कि विदेश में बैठे ये हैंडलर्स एन्क्रिप्टेड ऐप्स से यहां के पेशेवर लोगों के संपर्क में थे. इनमें डॉक्टर्स, स्टूडेंट्स और मौलवी तक शामिल थे.
जांच के दौरान यह बात सामने आई कि भारत में किसी आतंकी साजिश की प्लानिंग हो रही है. इसमें डी गैंग यानी जैश का डॉक्टर्स गैंग सक्रिय है. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उस पोस्टर कांड को गंभीरता से लिया और जांच शुरू कर दी. कई ओवर ग्राउंड वर्कर्स को अरेस्ट किया गया. उसकी कड़ी डॉक्टरों से मिलती गई. उन्हीं खुलासों को रास्ता बनाकर जम्मू-कश्मीर पुलिस उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और हरियाणा के फरीदाबाद तक पहुंची. इसके बाद गिरफ्तारी का दौर शुरू हो गया. 6 नवंबर को सहारनपुर के डॉक्टर आदिल अहमद राठर को जम्मू-कश्मीर पुलिस और यूपी पुलिस की संयुक्त टीम ने अरेस्ट किया. डॉक्टर आदिल की निशानदेही पर फरीदाबाद से मुजम्मिल अहमद को भी पकड़ा गया.
इसके बाद डॉक्टर आदिल और मुजम्मिल से पूछताछ में 2900 किलोग्राम विस्फोटक का राज पता चला. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने तुरंत हरियाणा पुलिस से संपर्क साधा. इसके बाद फरीदाबाद में करीब 2900 किलोग्राम विस्फोटक बरामद हुआ. यह अभियान फरीदाबाद पुलिस और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में चलाया गया. फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल में पुलिस मुझम्मिल शकील उर्फ मुजम्मिल शकील, डॉ. अदील अहमद राथर और डॉ. शाहीन शाहिद को अरेस्ट कर चुकी थी. मगर दिल्ली ब्लास्ट वाला डॉक्टर उमर बच निकला. उसने ही दिल्ली में पैनिक होकर ब्लास्ट कर दिया. सूत्रों का कहना है कि हड़बड़ी में यह ब्लास्ट हुआ. उसने ऐसा प्लान ही नहीं बनाया था. हालांकि, सच आने वाले समय में ही पता चलेगा.

