What is Stage Zero Cancer: साल 2023 में वेटरन एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर (Sharmila Tagore) कैंसर से जंग लड़ रही रही थी, इसको लेकर लोगों को कोई विजिबल साइन नजर नहीं आ रहा था, लेकिन बेटी सोहा अली खान (Soha Ali Khan) ने बताया कि उनकी मां को कैंसर का पता स्टेज जीरो में चला, जिससे अर्ली और इफेक्टिव एक्शन हो सका. सोहा के मुताबिक, शर्मिला को कीमोथेरेपी की जरूर नहीं थी. कैंसरग्रस्त टिशू को ऑपरेशन के जरिए हटा दिया गया था, और वो पूरी तरह से ठीक हो गईं.
कैंसर की वजह से फिल्म से इनकारइस राज़ का इशारा ‘कॉफी विद करण’ (Koffee with Karan) में शर्मिला की मौजूदगी के दौरान हल्का सा हिंट किया गया था, जहां उन्होंने कैंसर के बाद सेहत से जुड़ी चिंताओं के कारण एक फिल्म का रोल ठुकराने का जिक्र किया था.
क्या है स्टेज जीरो कैंसर?स्टेज जीरो लंग कैंसर, कार्सिनोमा इन सीटू (Carcinoma in situ) या सीआईएस (CIS) के रूप में भी जाना जाता है. इस स्टेज में, एब्नॉर्मल सेल्स सिर्फ फेफड़े के टिशू के सरफेस लेवल में पाई जाती हैं और फैली नहीं होती हैं. ये नॉन इवेसिव फॉर्म इसे फेफड़ों के कैंसर का सबसे ज्यादा इलाज के लायक स्टेज बनाता है.
लंग कैंसर में रेयरजबकि स्टेज जीरो आमतौर पर रेगुलर टेस्ट की वजह से ब्रेस्ट या सर्विकल कैंसर में पाया जाता है, ये लंग कैंसर में रेयर होता है क्योंकि इसका डायग्नोसिस आमतौर पर एडवांस स्टेज में होता है जब लक्षण दिखाई देते हैं. हालांकि, लो डोज सीटी स्कैन के बढ़ते इस्तेमाल, खासकर हाई रिस्क वाले लोगों जैसे कि लंबे समय तक स्मोकिंग करने वालों या फैमिली हिस्ट्री वाले लोगों के लिए, अर्ली डिटेक्शन रेट में सुधार हुआ है.
इलाज ऐसे अर्ली स्टेड के मामलों में, कीमोथेरेपी या रेडिएशन की जरूरत के बिना, अकेले सर्जरी ही क्यूरेटिव हो सकती है. सर्जिकल अप्रोच घाव के साइज और लोकेशन पर डिपेंड करता है, जिसमें अक्सर मिनिमली इनवेसिव प्रोसीजर शामिल होते हैं, जो बेहतर रिकवरी और कम साइड इफेक्ट्स को एनश्योर करते हैं.
केयरफुल प्लानिंगये देखते हुए कि शर्मिला टैगोर का डायग्नोसिस कोरोना महामारी के दौरान हुआ था, ऐसे में केयरफुल प्लानिंग बेहद जरूरी थी. कैंसर पेशेंट की इम्यूनिटी आमतौर पर कमजोर होती है, जिससे वो इंफेक्शंस को लेकर ज्यादा सेंसिटिव होते हैं. चूंकि शर्मिला के इलाज में सिर्फ सर्जरी शामिल थी, इसलिए उनकी इम्यूनिटी शायद ज्यादा मजबूत रही, जिससे कोविड-19 से जुड़े खतरे कम हो गए
र्ली डिटेक्शन की अहमियतशर्मिला टैगोर का केस अर्ली डिटेक्शन की अहमियत पर फोकस करती है, खासकर उन कैंसर के टाइप्स में जिनकी रूटीन स्टेज में आमतौर पर जांच नहीं की जाती है, और ये ट्रीटमेंट आउटकम और जिंदा रहने की दर में कैसे बड़े तौर पर सुधार कर सकती है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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