Uttar Pradesh

शादी के बाद चाहिए सुखद दांपत्य जीवन तो चित्रकूट के इस मंदिर में करें दर्शन! ये हैं मान्यताएं



धीरेंद्र शुक्ला/चित्रकूटः हिंदू धर्म में विवाह को एक पवित्र रिश्ता के रूप में माना जाता है. विवाह में वर और वधू एक दूसरे के प्रति स्नेह रखते हैं और वो हिन्दू धर्म के आदर्शों और रीति-रिवाजों के साथ इस पवित्र बंधन में सदैव के लिए बंध जाते हैं. इस विशेष संबंध के बाद चित्रकूट में एक अद्वितीय परंपरा आज भी जीवंत है, जिसमें माता अनुसुइया के गर्भगृह में श्रीमती वर्ग और वधूजन को उनके आशीर्वाद और दर्शन के लिए आने का अवसर मिलता है. इस खास संबंध के कारण चित्रकूट में यह मान्यता आज भी प्रमुखता रखती है.

चित्रकूट के महंत दिव्य जीवन दास दास महाराज बताते हैं कि माता अनुसूया ऋषि अत्रि की पत्नी थीं, जिन्होंने हमेशा पतिव्रता और पतिपरायण रहकर अपने पति के प्रति आदर्श संवाद स्थापित किया. इसी पतिव्रता भावना को तोड़ने के लिए पार्वती, सरस्वती और लक्ष्मी ने उनके पतियों को चित्रकूट भेजकर एक चुनौती दी थी.  लेकिन माता अनुसुइया अपने पति के आदर्शों को नहीं भूली और तीनों पतियों को पहचान लिया था.

माता अनुसुइया के पतिव्रता का प्रतीकमाता अनुसुइया ने त्रेतायुग में तीन लोको के स्वामी ब्रह्मा विष्णु महेश को छोटा बालक बनाकर पालना में झूलाया. चित्रकूट के साधु संत आज भी यह कथन करते हैं कि माता अनुसुइया के गर्भगृह का यह स्थान उनके पतिव्रता भाव का प्रतीक है. इसलिए हर वर्ष यहां पर दुल्हन और दूल्हा आकर माता अनुसुइया का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

.Tags: Chitrakoot News, Local18, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : August 30, 2023, 15:25 IST



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