चेहरे का ऐसा दर्द जो हवा के हल्के छूने से बिजली की तरह दौड़ जाए, खाने-पीने की तो सोच भी न हो पाए और बात करना तक मुश्किल हो जाए, इन्हीं हालात से गुजर रहे थे बॉलीवुड एक्टर सलमान खान. दरअसल, एक दशक पहले ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया (trigeminal neuralgia) नामक एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी से सलमान खान पीड़ित हुए थे, जिसके बाद 2011 में उनकी अमेरिका में सर्जरी भी हुई थी.
हाल ही में, चेन्नई के कौवेरी अस्पताल में 85 वर्षीय बी. वीरास्वामी ने भी ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के लिए माइक्रोवास्कुलर डिकम्प्रेसन सर्जरी करवाई. बीमारी के कारण हुए तेज दर्द के चलते वे बात नहीं कर पाते थे, यहां तक कि दांत भी नहीं ब्रश कर पाते थे. साथ ही, दवाओं के साइड इफेक्ट के रूप में उन्हें लगातार नींद आती रहती थी.
15 सालों से थे पीड़ित
बी. वीरास्वामी ने बताया कि लगभग 15 सालों तक तो हल्का सा छूना भी दर्द का झटका दे देता था. मैं फोन पर बात करते हुए अचानक कॉल काट देता था और लोगों से बात करना ही बंद कर दिया. मेरी दवाओं की खुराक छह गुना बढ़ गई, लेकिन दर्द और मेरी उम्र दोनों ही बढ़ती चली गईं. दवाओं के नुकासन के कारण मैं ठीक से चल भी नहीं पाता था और घर के अंदर ही रहने को मजबूर था.
क्या है ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया?
यह एक ऐसी न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जो ट्राइजेमिनल नस को प्रभावित करती है. यह नस चेहरे की सेंसिटिविटी को दिमाग तक पहुंचाने का काम करती है. इस बीमारी में नस पर दबाव पड़ने या डैमेज होने के कारण अचानक तेज दर्द होता है. यह दर्द चेहरे के विभिन्न हिस्सों में, जैसे आंखों के आसपास, गालों पर और जबड़े में हो सकता है. दर्द इतना तेज होता है कि मरीज को बात करना, खाना, यहां तक कि हंसना भी मुश्किल हो जाता है.
क्यों इसे कहते हैं सुसाइड डिजीज?
इस बीमारी को ‘सुसाइड डिजीज’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह मरीज को मानसिक रूप से भी तोड़ देता है. तेज दर्द के कारण मरीज को लगातार तनाव, एंग्जाइटी और डिप्रेशन का सामना करना पड़ता है. कुछ मरीजों में तो दर्द इतना ज्यादा हो जाता है कि वे आत्महत्या का विचार भी करने लगते हैं. इसलिए, इस बीमारी का समय पर इलाज करवाना बहुत जरूरी है.
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His dig came a day after the passage of two bills in Parliament with catchy acronyms — Viksit…

